AI और इलेक्शन्स?
Artificial intelligence, एक तरफ सिस्टम के या राजनीतिक पार्टियों के abcd फिक्स करने में सहायता करती है तो दूसरी तरफ लोगों को उनकी जानकारी के बैगर ट्रेन करने में। टेक्नोलॉजी अहम है।
इस सूक्ष्म स्तर के मैनेजमेंट में क्या कुछ आता है?
आप कहाँ रहते हैं और कहाँ नहीं?
किसके साथ रहते हैं और किससे दूर?
किस से बात करते हैं और किससे नहीं?
कितनी देर बात करते हैं और कितनी देर नहीं?
किससे कब मिलते हैं? कितनी देर? कहाँ और कैसे?
कहाँ, किनके साथ या आसपास ज्यादा वक़्त गुजारते हैं?
क्या देखते या सुनते हैं या पढ़ते हैं?
क्या खाते हैं, पीते हैं?
कब सोते हैं और कब उठते हैं?
भगवान को मानते हैं या नहीं मानते हैं?
मानते हैं तो किसे? और उसकी पूजा कैसे और कहाँ करते हैं?
घर या किसी मंदिर? अगर किसी मंदिर तो कौन से मंदिर?
आप क्या सामान खरीदते हैं? और कहाँ-कहाँ से?
आपको कैसे डिज़ाइन या रंग पसंद हैं?
बीमार होने पर ईलाज के लिए कहाँ जाते हैं?
और भी कितना कुछ। आपकी ज़िंदगी से जुड़ा हर पहलु।
सोचो ये सब आप खुद ना कर रहे हो? बल्की आपसे कोई करवा रहा हो? इतना कुछ सम्भव है क्या? अगर हाँ, तो कैसे? ये जानना अहम है।
ये कुछ-कुछ ऐसे ही है, जैसे घरों, गली-मौहल्लों या गाँव या शहरों के डिजाईन। जिन्हें शायद घरों के या अपने घरों के आसपास के, आगे या सामने कौन हैं, पीछे कौन हैं? आजू-बाजू कौन हैं? घर का कौन-सा कौना, किसके घर के कौन-से या हिस्से से लगता है? उन हिस्सों में क्या कुछ है? वो, राजनीतिक कोढ़ में विवादों की जगह हैं? या शांती और समृद्धि की? देखो, शायद कुछ झगड़े, वाद-विवाद, बीमारी या मौतें तक वहीं से तो नहीं जुड़ी हुई? और शायद समृद्धि भी इसी में बसती है क्या? आपको लगता है, की ये डिजाईन तो आपने खुद ही बनावाया हुआ है? या आपके पुरखों ने? भला किसी तरह की राजनीती का उस सबसे क्या लेना-देना? या शायद बहुत कुछ लेना-देना है? जानने की कोशिश करें?
ठीक ऐसे ही, आपके जीवन के हर छोटे-बड़े पहलू का? तो पहले किससे शुरू करें? घरों या गली-मौहल्लों के डिजाईन से? या आम आदमी की ज़िंदगी से जुड़े, हर छोटे-बड़े पहलू से?
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