इंसान के हाथ में आखिर इतना ही होता है, जितना वो दुनियाँ में लेकर आता है। ना उससे कम और ना ही ज्यादा। फिर वो चाहे राजा हो या रंक। तो लोग अकड़ किस बात की रखते हैं? यहाँ तो यही समझ नहीं आता। और इंसान (?), इंसान का ही शोषण करे? वो इंसान कैसे कहला सकता है? हाँ। वो भगवान, भगवानी या कोई देव या देवी जरुर कहला सकता है? या शायद राक्षस भी?
शोषण के तरीके कितने अनोखे हो सकते हैं? जानने की कोशिश करें?
इन पिछले कुछ सालों में कुछ ऐसे नज़ारे सामने आए या कहो की देखने को मिले, की एक बार तो आप भी हैरान ही रह जाएँ, की ये क्या था? आपको लगे ये ऐसे है, और उसका परिणाम देखते-देखते वैसे निकले? कैसे? अगर आप कोई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, तो ज्यादातर ऐसा नहीं होता। क्यूँकि, आप एक्सपेरिमेंट से पहले अपनी थ्योरी के ABC दुरुस्त कर चुके होते हैं। और अगर हो जाए, तो आपको अपनी तरह का परिणाम लाने के लिए, उस थ्योरी में बदलाव कर, कितने ही रस्ते और तरीके पता होते हैं। मगर आम आदमी को वो सब पता नहीं होता। या कहना चाहिए, की जिस एक्सपेरिमेंट की आपको थ्योरी तक सही से ना पता हो, उसका परिणाम कैसे पता होगा? आम आदमी ऐसे कहाँ सोच पाता है? वो कोई एक्सपेरिमेंट थोड़े ही कर रहा होता है? वो तो हकीकत की ज़िंदगी जी रहा होता है। आम आदमी में और Social Engineering के महारथियों में यही फर्क होता है। राजनीती और कहीं का भी सिस्टम, उस सोशल इंजीनियरिंग का सबसे खतरनाक या आखिरी स्तर है। सारे समाज को चैस का बोर्ड समझ, हर जीव-निर्जीव को गोटी समझकर या बनाकर, कठपुतलियों-सा अपने-अपने अनुसार चलाना या नचाना? जहाँ हर तरह के ज्ञान-विज्ञान, कर्म-काँड, लोभ-लालच और डर के तड़के लगते हैं।
आसपास की कुछ अनोखी-सी, मगर बहुत ही आम-से, मानसिक तड़को और भड़कावोँ वाली कहानियाँ और किस्से?
आप एक ऐसे परिवेश में हैं, जहाँ घर का छोटा-मोटा काम सब आप ही करते हैं? गर्हिणी हैं शायद? बाहर के भी ज्यादातर काम आपको ही करने पड़ते हैं? क्यों? कोई और नहीं है क्या घर में? शायद अकेले रहते हैं? हैं ना। उन्हें आपके खिलाफ और खुद उनके अपने खिलाफ लगाया हुआ है काम पे? मगर कैसे? कैसे अहम है। आप लड़का भी हो सकते हैं और लड़की भी। जेंडर से फर्क नहीं पड़ता।
शब्दों के हेरफेर
House Wife?
House या Home या Land Lord या Lady?
Home Partner?
Home Minister?
Home Maker?
और भी कितने ही शब्द हो सकते हैं। पुराना शब्द है शायद House Wife? क्यूँकि ज्यादातर औरतें घर ही रहती थी? Land Lord या Lady? शायद घरों को किराए पर भी दिया जाता है यहाँ? ताकी मालिक और किराएदार में फर्क किया जा सके? Home Partner? शायद नए दौर का बराबरी का किस्सा या हिस्सा? Home Minister? राजे महाराजाओं के घर के दरबारी? Home Maker? बराबरी के हिस्सों से थोड़ा और आगे निकल और शायद युद्धों के घातक दौर के अटैक रुपी अवतार भी? Braker का make over भी हो सकता है और मारकाट से बचने का हथियार भी? संजीदा भाषा में शायद बेहतर भी? तो आप क्या बोल रहे हैं और क्यों बोल रहे हैं? वो निर्णय कौन लेता है? आपका आसपास? या उस आसपास का सिस्टम? ये किसी भी रिश्ते-नाते पर या बोलचाल के तरीके पर लागू होता है।
कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे, आपके बोलचाल के तरीकों से या रहने वाले समाज या घर से जुड़े काम? जो कोई काम आप करते हैं या आप पर थोंप दिए जाते हैं? आपकी जानकारी के बिना या जानकारी से? हर काम आप खुद नहीं कर सकते। ना ही करना चाहिए। ज़िंदगी आसान होगी। जहाँ-जहाँ जरुरत पडे, वहाँ अपने आसपास से सहायता लें। उस आसपास में आपके अपने घर के इंसान भी आते हैं। और आसपास के भी। उसके आलावा बाहर के भी। अगर हर काम आप खुद ही कर रहे हैं। या कोई आपकी सहायता करने वाला है ही नहीं। तो ये दयनीय स्थिति है। अब वो हमेशा से ही ऐसी स्थिति थी या बना दी गई है? या बनाने की कोशिशें हो रही हैं? ये जानकारी का विषय है। और ये अहम है।
किसी भी घर की या इंसान की या अपने आसपास की जब ये चीज़ें आपको समझ आना शुरु हो जाएँगी तो शायद ज्यादातर समस्याओं के हल भी अपने आप निकल आएँगे। उसके लिए आपको कहीं बाहर, किसी की तरफ देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी। और ना ही बाहर वालों की इतनी औकात रहेगी की वो आपके घर में या आसपास ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे हादसे कर पाएँ।
राजनीती मतलब? हर इंसान को हर इंसान के खिलाफ भड़काना? हर रिश्ते को हर रिश्ते से दूर करना? अड़ोस-पड़ोस को एक दूसरे के घरों में अनचाहे दखल का औज़ार बनाना, ना की सहायता का? पुरे समाज में तोड़फोड़ मचा, सिर्फ और सिर्फ मैं और मेरे अपने? राजे महाराजे या रानियाँ-महारानियाँ? या नए दौर के तानाशाह? करते कैसे हैं ये लोग, ये सब? आपको अँधा, बहरा कर, सिर्फ और सिर्फ वो दिखा सुना कर, जो ये दिखाना या सुनाना चाहते हैं? सिर्फ और सिर्फ, ऐसी कैद तक रखकर? क्यूँकि, ज्यादातर घरों के या रिश्तों की कहानी यहाँ यही है। लोगों को एक दूसरे के खिलाफ भड़काकर एक खास दायरे में कैद कर लेते हैं। एक दूसरे से बोलचाल, मिलना-जुलना बंद और उधर काँड शुरु।
या? हकीकत को धर्तराष्ट्र और गाँधारी बना, अपने ही तथ्योँ या मोहमाया जाल के लबादे औढ़ा कर?
और भी कितने ही तरीके हैं। जैसे कुरडियों या खँडहरों तक के ड्रामों से जुड़ाव? इससे ज्यादा क्या हो सकता है? कैसे? अजीबोगरीब तानेबाने बुनकर? जैसे मकड़ी बुनती है जाला, किसी भी शिकार को अपने जाल में उलझाने के लिए? मामा के यहाँ रहने नहीं गई की कहानी के पीछे यही ताने-बाने रहे। जब यहाँ आकर रहने की सोची तो? यही सब थोड़ा खुंखार रुप में चला? ये सब चलाने वाले कौन? ये अहम है। आप तो सिर्फ गोटियाँ भर हैं उनकी। मशीन (इंसान भी) आपकी होती हैं, मगर, उस मशीन को कंट्रोल करने वाले दिमाग? उनके? किनके? जानते हो उन्हें? उन्हें जानना अहम है। जो-जो अहम है, वही आप नहीं जानते?
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