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Tuesday, October 22, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 69

वैसे तो हर जगह, हर घर और हर इंसान की अपनी ही कहानी होती है। और उन कहानियों के कितनी ही तरह के कोड हो सकते हैं। ऐसे ही जैसे, किसी भी PM, CM, MP, MLA या उनके आसपास के लोगों, घरों, ऑफिसों या जगहों की होती होंगी? ये खास उनके लिए, जिन्हें इलेक्शन रिजल्ट्स या नई हरियाना गवर्नमेंट पर मेरे से किसी आर्टिकल की उम्मीद थी। जब से ये राजनीती का साँग थोड़ा बहुत समझ आना शुरु हुआ है, तब से मैं राजनितिक पार्टियाँ कम, उनके ABCD ज्यादा समझने की कोशिश करती हूँ। तो जानकार लोग, इधर के या उधर के, अपना ABCD का ज्ञान पेलते रहें। कौन किसकी A टीम, किसकी B, और किसकी फलाना-धमकाना टीम?   

यहाँ Control Freak और उसपे कम पढ़े-लिखे लोगों को निक्क्में बनाने में माहिरों के राजे-महाराजाओं और रानी-महारानियों या राजकुमार-राजकुमारियों से थोड़ा आगे जानने की कोशिश करते हैं। हम जहाँ जिस जगह रह रहे होते हैं, अक्सर हमारा जहाँ भी वहीँ तक सिमित होकर रह जाता है। उससे आगे देखना ही नहीं चाहते या निकलना ही नहीं चाहते? जब बात इंसान पे कंट्रोल की होती है, तो वो हर जगह थोड़ा-सा अलग तरह का होता है। मगर उसके पीछे छुपे कारक, एक जैसे से ही होते हैं? दूसरे को अपने अधीन रखने की इच्छा? उनका शोषण कर, उनसे अपने लिए या अपनों के लिए काम करवाने की इच्छा? उनको अपने निहित स्वार्थों से आगे ना बढ़ने देने की इच्छा? उनको अपनी खुद की सिमित सोच के दायरे से आगे ना सोचने, ना कुछ करने देने की इच्छा? जहाँ स्तर और भी ज्यादा गिर जाता है, वहाँ जो लोग हैं या जो कुछ उनके पास होता है, उनको उससे भी पीछे धकेलने की इच्छा? जहाँ स्तर इससे भी ज्यादा गिर जाए, वहाँ लोगों को जबरदस्ती जैसे कैद करने या रखने की इच्छा? और बहुत से केसों में तो बिल्कुल ही खत्म करने या रोंदने की इच्छा? इंसानों के समाज के ज्यादातर दुखों की वजह यही है। 

जो समाज जितना ज्यादा दुखी है, उसका साफ़-सा मतलब ये है की वहाँ का सिस्टम और वहाँ की राजनीती control freak है। वो लोगों से संवाद करके समस्यायों के हल नहीं निकालते। बल्की, अपने घड़े तथ्य लोगों पे थोंपने की कोशिश करते हैं। और उन्हीं तथ्यों के आधार पर समाधानों का दिखावा करते हैं? जहाँ-जहाँ जितना ज्यादा छुपम-छुपाई है, वहाँ-वहाँ मान के चलो की बहुत कुछ छुपाया जा रहा है। और बहुत कुछ तोड़-मरोड़ के या बिना हुआ भी आपको परोसा जा रहा है। जहाँ किसी भी तरह का सँवाद ही नहीं होगा, वहाँ परिणाम क्या होंगे?    

बहुत ही छोटे से स्तर पर देखें तो भारतीय समाज के सास-बहु किस्से? और बड़े स्तर पर देखने की कोशिशें करें तो? किसी भी समाज का सिस्टम और राजनीती? ये ज्यादातर प्रश्न क्यों जड़ देती हूँ मैं? आपकी अपनी भी एक सोच समझ है ना? उसी के दायरे में जानने-समझने की कोशिश कर लें।    

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