मानसिक शोषण और अत्याचार
मानसिक शोषण और अत्याचार क्या है? जब कोई आपकी किसी दुखती रग, आज की या बीते हुए कल की, का प्रयोग या दुरुपयोग कर, अपना हित साधने लगे? ऐसा करने में चाहे उसे आपको और दुखी ही क्यों ना करना पड़े? गाँव आने पर यहाँ आसपास के जब हालात देखे, तो यूँ लगा की ये राजनीतिक पार्टियाँ कितना तो फद्दू बना रही हैं इन लोगों का। इन लोगों की ये दुखती रगें, इन राजनीतिक पार्टियों की ही देन हैं। और उसी को ये पार्टियाँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी, दूसरी से तीसरी पीढ़ी, उसी ढर्रे से निरन्तर बढ़ा-चढ़ा कर, एक दूसरे के ही खिलाफ करके और ज्यादा लूटने और दोहन करने में लगी हुई हैं।
कुछ एक उदहारण लें
कोई छोटी बहन कहे 50-50 हो गया। जिन्हें आपकी विचारधारा का अंदाजा तक ना हो की कोई रिश्तों को पर्सेंटेज में नहीं जिता। इधर या उधर। यहाँ बीच का गोबर-गणेश नहीं टिकता। और कोई ऐसा कहके, किन्हीं अंजान लोगों के लिए, अपना आधा क्यों खोने की सोचे?
मैं इधर वाले खँडहर को गिरा दूँगा तो ताई का भी अपने आप गिर जाएगा। भाई, ताई का तो गिरेगा या पता नहीं गिरेगा, तुझे हर जगह खामखाँ में भुंड अपने सिर लेनी जरुरी होती है? ताई कहीं भी रहे, मगर इस अपनी साइड के खंडहर को ना छोड़ने वाली, अपने जीते जी।
एक और छोटी बहन, यो आधा खंडहर तो भाई ने मेरे को गिफ्ट दे दिया। मैं भी आती हूँ यहाँ रहने, अपनी लड़की के साथ। फिर 3 बहनें एक ही row में हो जाएँगे। दो पहले ही बैठी हैं यहाँ। एक इस खण्हर के आधे हिस्से में। और दूसरी, खाली वाले आधे हिस्से के अगले वाले घर में।
कर लो बात। ये भाई इस ए जोगे सैं? पर ये बहन तो यहाँ और ज्यादा नहीं टिकने वाली। मौका लगते ही इस खंडहर से निकलने वाली है। हाँ। माँ की बजाय, अगर ये इस बड़ी बहन के पास होता तो सारा ही तेरे को देके, तेरे वारे न्यारे कर देती, अगर तेरी उम्मीद इस खंडहर तक ही है तो?
ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे अजीबोगरीब संवाद होते हैं यहाँ। संवाद? या शायद कहना चाहिए, वाद-विवाद? ये सब Mistaken Identity के केस हैं। जिन्हें राजनीतिक पार्टियाँ अपनी स्वार्थ-सीधी के लिए, लोगों के भेझे में घुसेड़ देती हैं। और इसी को Mindwash या Mind Manipulations कहा जाता है शायद।
और लोगों की ज़िंदगियाँ, इन्हीं के इर्द-गिर्द घुम कर रह जाती हैं। पता नहीं, लोग इन सबसे क्यों नहीं निकल पाते?
वजहें?
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