पार्टियाँ लड़ रही हैं। आम आदमी की या individual की आज भी भारत जैसे समाज में कोई अहमियत नहीं है। ये सिर्फ किसी कपिल सिबल के शब्द नहीं है, बल्कि हकीकत है। अपना हक़ माँगने वालों को हर तरह से बंद कर दिया जाता है। रोंदा जाता है। यही चल रहा है। कहीं किसी की या किन्हीं पार्टियों की हकीकत दिखानी शुरू तो नहीं कर दी आपने? आपका इंटरनेट बंद कर दिया जाता है। BSNL का यहाँ नेटवर्क चलता ही कम है। या कहो जब दिखाना हो No Service, तो ऐसा होता है? Vodaphone, तो Vi हो चुका। रॉमिंग में बैठा हुआ है। क्या हुआ अगर आप रॉमिंग में ना हों, तो भी। कलाकारियाँ? इंटरनेट बहुत ही कम चलता है उस पर।
So-called सर्विस तो 2019 में ही जा चुकी, मेरे हिसाब से। एक ऐसा ऑफिसियल स्पेस जहाँ सबकी मिलीभगत से एक महिला फैकल्टी को पीटा जाए, क्या कहलाएगा? Officially, 2021 में Resignation accept हो चुका। तो कौन-सा धंधा कर है यूनिवर्सिटी, उसके बावजूद किसी की सेविंग पे कुंडली मार के? वो भी इतनी सारी रिक्वेस्ट के बावजूद? कहाँ मर गए, इतने सारे कोर्ट्स के न्यायविद? ओफिसिअल जगह तक पर सिक्योरिटी देना आपके वश से बाहर है? ऐसे कांडों में शामिल लोगों को सजा देना, आपके वश से बाहर है? किसी की सेविंग तक पर कुंडली मारे हुए लोगों तक से निपटना, आपके वश से बाहर है? फिर क्यों बैठे हैं, उन कुर्सियों पर आप? छोड़ क्यों नहीं देते?
सालों, दशकों पहले, आपकी ज़िंदगी में कोई इंसान 2-4 महीने कोई खास वीडियो या फोटो क्लिक होने तक रहता है। उसके बाद कम से कम, आपकी ज़िंदगी से तो मर जाता है। और ना ही आपका उसके बाद उससे कोई लेना-देना। फिर ये पार्टियाँ किनको और क्यों रो रही हैं, इतने सालों तक? इनके हरे, नीले, पीले, काले या सफ़ेद रंग किनको दर्शा रहे हैं? यही धंधा है। एक ऐसा गन्दा धंधा, जिसमें आप ना होते हुए भी दशकों रहते हैं, वो भी आपकी जानकारी के बिना। जानकारी होने पर, विरोध के बावजूद। ये VIP और DGP वालों का सांग तो और भी अगले स्तर पर चला गया। ये वो पार्टियाँ हैं, जो बहनचो, छोरीछो, माचो, जैसे रिश्ते घड़ने की कोशिशें कर रही हैं। ऐसे रिश्ते घड़ाईयों की सबसे बड़ी बात, इनमें थोड़ा बहुत आगे बढ़ने में भी उन्हें सबसे ज्यादा वक़्त लगता है। दशकों? और मनचाही सफलता, इतने सालों के प्रयासों के बावजूद नहीं मिलती? जानते हो क्यों? आगे किन्हीं पोस्ट्स में, इसपे काफी कुछ लिखने की जरुरत है। क्यूँकि पार्टियों के ऐसे प्रयास, कितनी ही ज़िंदगियों से तो खेल ही रहे हैं। समाज को भी गर्त में धकेल रहे हैं। वो ना बच्चों को बक्स रहे और ना ही बुजर्गों को।
अलग-अलग अजीबोगरीब स्तर (अपनी घड़ाईयोँ को समाज में परोसना)
Worms कितनी तरह के होते हैं? और कहाँ-कहाँ पर प्रयोग होते हैं? कैसे-कैसे प्रयोग या दुरुपयोग होते हैं?
Viral कितनी तरह के होते हैं? क्या करते हैं? और कितने दिन तक टिक पाते हैं? उसके बाद क्या होता है, ऐसे viruses का?
Feritilizers? कुछ और भी नाम दे सकते हैं। फ* फ* फ *? Fakistan? जो हिंदुस्तान है ना पाकिस्तान? अफगानिस्तान है ना तुर्कमेनिस्तान? क्या है फिर ये? खाद? वो जो कीड़े बनाते हैं? कितनी तरह के खाद होते हैं? कैसे-कैसे कीड़े, कैसी-कैसी खाद बनाते हैं? अलग-अलग तरह की खादों की विशेषताएँ क्या होती हैं? आप कौन-सी प्रयोग करते हैं? और क्यों? कोई दूसरी क्यों नहीं?
ये सब समाज में अपनी ही तरह की घढ़ाईयोँ के तरीके हैं। Part of Social Engineering
किसी ने कहा Fertilizer के बाद का नहीं लिखा। जी। उसपे सोशल इंजीनियरिंग करके ब्लॉग ही अलग चलाया हुआ है। क्यूँकि, वो मैकेनिकल लेवल है। इंसानियत वहाँ बिलकुल खत्म हो जाती है। इंसान, महज़ कोई मशीन बच जाता है। वो बहुत तरह के ज्ञान-विज्ञान और टेक्नोलॉजी का मिक्सचर है। Highly Interdisciplinry. उस लेवल को इंसान पे दोहराने के लिए, वो भी उस इंसान के पता होने के बावजूद, इंसान हर तरह से आपके कब्ज़े में होना चाहिए। कोशिशें 2018 से चल रही हैं, मगर सफल नहीं हो पा रही हैं। मतलब? वो स्तर सफल नहीं हो पा रहा तो किसी और स्तर पे रखकर कहानी खत्म करो?
Out from University Residence. कोशिशें 2018 से शुरू हुई। रेजिडेंस नहीं छोड़ा तो दूसरे तरीके शुरू हुए बाहर करने के। वो कहीं बाहर जाने की बजाय, घर आकर बैठ गई।
Cannot live at home. यहाँ मारकाट शुरू कर दी, ऐसे की लोगों को कुछ समझ ना आए।
और Out from India का मतलब भी यही है। उस स्तर की सफलता के लिए, आपको उस इंसान को किसी खास तरह के सेफ जोन से बाहर निकालना पड़ता है। खास माहौल में पहुँचाना पड़ता है। जहाँ बहुत कुछ उस स्तर के डिज़ाइनरस के कब्ज़े में होता है। इंडिया से बाहर वेलकम करने वाले क्या सिक्योर माहौल दे पाएँगे? मुझे तो नहीं लगता। फिर USA में तो आगे इलेक्शन होने हैं। उसपे बच्चे तक US के गन डेंजर से डरते हैं। क्यों? वो तो US वाले बेहतर जाने या ऐसा सोचने वाले बच्चे? थोड़ा ज्यादा तो नहीं हो गया?
इंटरनेट बंद करना गलत बात। इंटरेक्शन का एकमात्र तरीका बचा है वो, यहाँ पे।
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