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Tuesday, August 20, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 7

बालों से इतना भी क्या लगाव?

ये लगाव महज़ बालों से नहीं, बल्की किसी तरह की जबरदस्ती से है। आपको वो बनाने की कोशिश की जा रही हों, जो आप नहीं है या नहीं बनना चाहते। जब पार्लर में बालों पे खास एक्सपेरिमेंट चल रहे थे, तो मुझे कौन याद आ रहा था? मेरा अपना सालों पुराना हुलिया नहीं, बल्की TV में या ईधर-उधर देखी सुनी गई, वृंद्धावन की औरतें। क्यों? क्यूँकि, उन दिनों शायद ऐसा कुछ आसपास काफी देखने-सुनने को मिल रहा था। उस वक़्त तक मैंने MDU रेजिडेंस नहीं छोड़ा था। जो कुछ घर पर चल रहा था, वो सब भी सिर के ऊप्पर से जा रहा था। खैर, बाल जलने के बावजूद, मैंने बाल नहीं कटवाये। एक तो अब वो शार्ट हेयर वाला लुक मुझे कोई खास पसंद नहीं था, उसपे कोई जिद भी हो गई थी। 

इसी दौरान कुछ और लुक्स उन दिनों काफी आसपास घूमते थे। विटिलिगो, और बिलकुल सफ़ेद इंसान। उसके बाद कैंसर मरीज़ जैसे-से लुक्स जैसी-सी बुजुर्ग औरतें। उससे भी बड़ा झटका लगा, जब बुआ को पास बैठकर देखा और सुना। बाकी लकवा कब हुआ और उसके बाद हॉस्पिटल और घर तक का किस्सा तो मैं पहले ही सुन चुकी थी। मैं खुद कहीं ना कहीं उस हादसे से बची थी शायद। क्यूँकि, एक रात मैंने पूरी रात कहराते हुए ऐसे गुजारी थी की शायद सुबह तक नहीं बचूँगी। एक पैर जैसे घिसट रहा था और दर्द से हाल बेहाल था, पेन किलर लेने के बावजूद। मगर हॉस्पिटल जाने का कोई इरादा नहीं था। सुबह तक कुछ आराम हो गया था। क्या था वो, पता नहीं। शायद गर्मी हद से ज्यादा? उसपे AC का काम ना करना। नीचे वाला AC पहले ही गर्म फेंक रहा था तो ज्यादातर वो बंद ही रहता था। ऊप्पर, मेरे बैडरूम वाले AC ने भी कुछ-कुछ ऐसा ही ड्रामा दिखाना शुरू कर दिया था। मगर, तब तक भी मुझे अहसास नहीं था, की गर्मी की वजह से भी ऐसा कुछ हो सकता है।   

गाँव आने के बाद, जब लाइट के तमाशों और गर्मी को झेलना शुरू किया, तब समझ आया शायद, पैरों में दर्द कब-कब और क्यों होता है। वैसे तो माँ के इस घर में AC के बिना भी गुजारा हो सकता है। मगर ऊप्पर वाले कमरे में नहीं। यहाँ कम से कम कूलर तो चाहिए। AC के बाद जब कूलर पे भी ड्रामे शुरू हुए, वो भी हद मार गर्मी में, तब यक़ीन हो चला, ये सब तो मर्डर प्लान का ही हिस्सा है। ऐसे मारो की पता भी ना चले, की हुआ कैसे है। और ऐसा खास जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट ही कर सकते हैं। और ये सब बता भी एक्सपर्ट ही सकते हैं, की एक्सट्रीम गर्मी या सर्दी का किस तरह की बिमारियों से लेना-देना है। जब आप ऐसे हादसों से, और किसी तरह के फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स से भी गुजर रहे होते हैं, तब शायद ज्यादा समझ आता है की ऐसे हाल या इससे भी बुरे हाल में लोगों की ज़िंदगियों को शॉर्ट-कट क्यों लग जाते हैं? दिखने में कुछ खास नहीं होता, मगर रोजमर्रा के wear and tears ज़िंदगी को घटाने का काम करते हैं। मगर ध्यान से देखें तो दिखने में भी होता है। हुलिया, बिलकुल बदल चुका होता है। आपका हुलिया, आपके स्वास्थ्य के बारे में काफी कुछ कह रहा होता है।  

टैक्नोलॉजी, एक तरफ जहाँ ज़िंदगी को आसान बनाती है। तो वहीं इसका दुरुपयोग? लोगों को पीछे धकेलने, उनके बेहाल और बिमारियों और मौतों तक का कारण बनता है। टेक्नोलॉजी, जितनी ज्यादा एडवांस है, उसका बुरा प्रभाव भी उतना ही खतरनाक। खासकर, जब गलत इरादों से किया जाए। 

आप सालों जिस वातावरण में रहते हैं, आपका शरीर भी काफी हद तक उसका अभ्यस्त हो जाता है। उससे अलग को बहुत जल्दी नहीं झेल पाता। जैसे 2021 में resignation के बाद जब घर आना शुरू किया, तो अगर रात को काफी वक़्त तक लाइट जाती, तो गाडी का सहारा होता था। मगर, धीरे-धीरे ज़िंदगी के दुश्मनों ने, जैसे सब रस्ते बँध कर दिए। यहाँ रोड़े, वहाँ रोड़े, वहाँ रोड़े। खुद के इन अनुभवों ने, काफी हद तक भाभी के केस को समझने में भी सहायता की। और आसपास की ज़िंदगियों को भी। उस घर में तो गर्मी की कुछ ज्यादा ही समस्या है। घर की बनावट ही ऐसी है। सिर्फ बैडरूम में AC, जबकि ज्यादातर वक़्त आप उसके बाहर रहते हों या काम करते हों, तो ये शायद और भी ज्यादा बुरा प्रभाव डालता है शरीर पर। कुछ-कुछ ऐसे जैसे, तपती दोपहरी में गाड़ी धूप में हो और ऐसी गाडी के 2-4 मिनट के ही सफर में सिर दर्द हो जाए, अगर आप उसका टेम्परेचर थोड़ा नॉर्मल किए बिना ही उसमें बैठ जाएँ तो। दिखने में बहुत ही छोटी-छोटी सी बातें, मगर long term में यही छोटी-छोटी सी बातें, बड़ी बिमारियों का रुप ले लेती हैं।  

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