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Thursday, November 28, 2024

महारे बावली बूच, अर घणे श्याणे? 1

बावली बूचाँ  के अड्डे? 

एंडी न्यूं कह सै, बावली बूच, जै बावली बूच बना दिए तै के होग्या? साले हैं ए इस जोगे। 

ये साले तो जैसे यहाँ की मधूर जुबाँ का abcd है। 

जब आपको ये ना समझ आए की ये पढ़े-लिखे और कढ़े आदमी, या पैसे वाले और दिमागों को अपने अधीन रखने वाले नेता-वेता, सेठ-वेठ,  कैसे-कैसे, ऐसे-ऐसे आदमियों का दुनियाँ भर में शोषण कर रहे हैं? अगर शोषित होने वाले बावली बूचाँ  के अड्डे? तो पढ़े-लिखे और कढ़े आदमी, या पैसे वाले और दिमागों को अपने अधीन रखने वाले? घणे श्याणा के अड्डे?  

रोज-रोज के कारनामे या प्रवचन यहाँ वहाँ जैसे 

आपके बहन या भाई को बुखार हो रखा है, गला खराब और खाँसी भी। उसने कहा, Honitus Syrup और Teblets लाने को। और आप मूँगफली गुड़ टिक्की उठा लाए?

ले ये खा ले। Honey-wonitus ना मिलती यहाँ। 

मिलती है। ये कह की लाया नहीं या देने वाले ने दी नहीं। 

अच्छा? तो खुद-ए ले आइए। 

और आप सोचें, बावली बूच? 


आपके बहन या भाई का कुछ सामान आया है, कहीं से। उसको रखने के लिए जगह चाहिए। आपके पास जगह है, मगर बहाने पे बहाने। तंग आकर उसने माँ से लड़झगड़ और अपने कुछ सामान का उलटफेर कर, माँ के खँडहर में ही जगह बना ली। 

अगले दिन एंडी आवै चालया, मैंने जगह बना ली अपने वहाँ, सोफे के लिए। वो पड़ोसियों के यहाँ 2-साल से पड़ा सोफा और टेबल मैं कल ले जाऊँगा (20 11 2024 को)। 

और आप सोचें, अब जब मैंने बैड की अलमारी और पुराने सोफे को टुकड़ों में बाँट दिया, कुछ इधर, कुछ उधर तब? आज किसने बता दिया इसे, की मैंने कुछ ईधर-उधर रखे सामान के लिए जगह बना ली? एक तै बढ़ कै एक बावली बूच? इस सामान के यहाँ आने का मतलब, ये सामान यहीं रहना था, तब भी और अब भी। ये भी पड़ गए चक्करों में, इन खास तारीखों के राजनितिक ड्रामों वालों के? इसको इन वालों ने पकड़ा हुआ हो जैसे और उसको उस राजनीतिक पार्टी ने?      


पानी क्यों नहीं है यहाँ। पहले तो था। और कोई नहीं बातएगा, है, जब तक आप कहीं ऑनलाइन कुछ VALVE Closure टाइप या 10-15 के हेरफेर नहीं पढ़ लेते। उसके बाद, ड्रामे चलेंगे, खोल के दिखा। या नरेश 21- 11- 2024 को सुबह-सुबह खोल जाएगा? 

अरे तुम (नरेश) तो खाती हो ना? ये दरवाजा क्यों नहीं ठीक कर देते? अब ये घर पुराना खंडहर है, तो पता नहीं यहाँ क्या-क्या खराब पड़ा है। 

नरेश: उसके लिए श्याम को आऊँगा। 

और श्याम कब की आई गई हुई। 

आप सोचें, एक तै बढ़ कै एक बावली बूच? 


बादाम का दूध पी ले बे। 

बढ़िया सेहत बन रही है। 

हाँ। 

पी लो। थोड़ा-सा पी लो। मेरी ज़िंदगी ठीक हो जागी। 

क्या? 

ए बावली बूच सै यो तो, मत सुण घणी इसकी। बिमार पड़ा सै।  

Almond Milk? कोड?

दादी जाने से पहले एक एंडी शब्द दे गई। कहीं भी कुछ ऐसा होता और वो बोलते, ए बावली बूच सै यो तो।  

ऐसे-ऐसे कितने ही रोज-रोज के, ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे वाक्या होते ही रहते हैं यहाँ। तो सोचा क्यों ना बावली बूचाँ  के अड्डे पै ए कुछ लिखना शुरू कर दूँ? ताकी इन्हें भी समझ आए की लोगबाग कम पढ़े-लिखे लोगों का कैसे-कैसे फद्दू बनाते हैं?  

अब दूसरी तरह के भी हैं, जो आपको या आपके अपनों को जैसे लूटने पे लगे हुए हों? या आपकी पहचान धूमिल करने को? घणे श्याणे? और वो ये सब करवाते किससे हैं? बावली बुचां तैं?   

तो ये सीरीज शुरू होती है, महारे बावली बूच, अर घणे श्याणे? 

जैसे Fear and Folies वाले? 

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