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Sunday, November 3, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 80

T-point मतलब डेढ़? One and Half? या? और भी कितना कुछ हो सकता है?  

जहाँ आप खड़े हैं, वहाँ पीछे की तरफ बैक है। आगे की तरफ सीधा रस्ता जाता है। कहाँ? ये आपको देखना है। आजू-बाजू? आधे-से इधर हैं? और आधे-से उधर हैं? मतलब, आपको 50-50 कर दिया गया है? नहीं, ये भी हो सकता है की ये भी दो रस्ते हैं। चाहें तो ईधर का रुख भी कर सकते हैं। और चाहें तो उधर का भी। नहीं तो, बीच से सीधा-सा रस्ता तो है ही। फिर वो आपको कहीं भी ले जाए? वैसे तो ऐसे भी सोच सकते हैं की आप वहाँ हैं ही क्यों? अगर वो दिशाएँ या रस्ते पसंद नहीं, तो कहीं और खिसक लें।  

या मान लो, आपके पास चार दिशाओं में से तीन दिशाओं के रस्ते तो हैं ही? इससे ज्यादा चाहिएँ तो घुमफिर के मिल वो भी जाएँगे। एक शब्द या विषय को कितना भी घसीटा जा सकता है। नहीं?

जिन दिनों मैं H#30, Type-4 रहती थी, उन दिनों इधर-उधर, जाने किधर से 2-3 बार ऐसा सुनने को मिला, की आपका घर T-पॉइंट पर है। T-पॉइंट पर घर अच्छा नहीं होता। मुझे, ऐसे-वैसे फालतू-से, बिन माँगे सलाह जैसे शब्द लगते थे। क्या आ जाते हैं, खामखाँ दिमाग में कुछ भी उल्टा-पुल्टा घुसेड़ने? हालाँकि, उस घर के वक़्त की महाभारत, थोड़ी भयंकर-सी ही थी। मगर, मुझे उसकी लोकेशन बड़ी मस्त लगती थी। उस घर को लेने की वजह ही लोकेशन थी। नहीं तो एक और चॉइस भी थी H#13, टाइप 9J । H#30, Type-4 के पीछे Rose-Garden था। किसी भी सुबह-श्याम घुमने के शौकीन (Walk) इंसान के लिए, इससे बढ़िया जगह क्या होगी भला? उसपे Nature-Lover, और छत से पीछे देखो तो एक दम हरा-भरा, साफ-सुथरा। वैसे तो यूनिवर्सिटी में हर जगह ही हरा-भरा होता है। मगर यहाँ क्यूँकि मकान भी थोड़े बड़े थे, तो हरियाली और स्पेस हर जगह ठीक-ठाक ही था। ज्यादातर मेरी सुबह की चाय उसी तरफ वाले मेरे बैड रुम की तरफ आगे की छत पर बैठ कर होती थी। जब यूनिवर्सिटी छोड़ा, तो गाँव में भी कुछ-कुछ ऐसी-सी ही, छुटियों के लिए लिखाई-पढ़ाई की अपनी जगह बनाने का मन था या कहो अभी तक है। बिमारियों और मौतों की खास जानकारी की वजह से भी, एक तरह का अपना ही छोटा-सा फील्ड ऑफिस और छुटियों में रुकने की जगह बनाने का मन। उसका बनते-बनते क्या हुआ, वो अलग ही खुँखार-सी कहानी है। और चालबाज़ों द्वारा मुझे रोक दिया गया, इस खँडहर तक। इसे बोलते हैं, जमीन, पैसा, आदमी, नौकरी और ठीक-ठाक ज़िंदगी, सब पर अटैक जैसे।   

वो H#13, टाइप- 9J किसे मिला? मेरे अपने ही इंस्टिट्यूट के डॉ राजेश लाठर को। हालाँकि, बाद में उन्होंने भी छोड़ दिया शायद, और कोई और मकान ले लिया? जब इन दो मकानों की चॉइस थी तो मैं दोनों को ही देखने गई थी। वैसे तो वजह लोकेशन खास थी। मगर, H#13, टाइप- 9J की कहानी भी थोड़ी अजीब। मुझे बताया गया की उसमें कैंपस स्कूल में रहने वाली कोई मैडम आत्महत्या कर गई थी और तब से ही वो मकान खाली पड़ा है। हालाँकि, ये मकान भी खाली था पिछले कई साल से। प्रोफेसर KC, केमिस्ट्री के खाली करने के कई सालों बाद, ये रिपेयर किया गया था। कौन, कहाँ, किस जगह या पते पर रहता है, क्या उसका असर सिर्फ आज पर नहीं, बल्की, आने वाले कुछ वक़्त के घटनाक्रमों पर भी पड़ता है? शायद? अगर आपको राजनीतिक घटनाक्रमों या दाँव-पेंचों या कुर्सियों के खास लड़ाई-झगड़ों की खबर तक ना हो? 

अगर जानकारी हो तो शायद उतना नहीं पड़ता? इसलिए जानकारी अहम है, सही जानकारी। एक तो आप आगाह हो जाते हैं। दूसरा, जो कुछ आपके आसपास गुप्त रुप से चल रहा होता है, उसकी खबर होती है। वही आपको बहुत-से अवरोधों और मुसीबतों से पार लगा देता है। इसलिए कोई भी सही जानकारी अहम है। जितना ज्यादा आप सही जानकारी से दूर हैं। उतनी ही सही ज़िंदगी आपसे दूर। 

ये कुछ-कुछ ऐसे ही है, जैसे किसी को कुछ सीधे-सीधे या उल्टे-सीधे भड़काऊ-सा कुछ बताया गया हो, किसी नाम का जिक्र करके। या शायद उसने आपकी कोई पोस्ट पढकर वो अपने से जोड़ लिया हो? बिना ये सोचे-समझे, की वो जहाँ रह रही है, वहाँ के आसपास का लिख रही है। जो तुमने अपने से भिड़ा लिया है, वैसे से नाम और जगहें शायद उसके आसपास भी हैं। और उनकी अपनी ही कोई कहानी हो सकती है। नाम से आगे, माँ-बाप का नाम, भाई-बहन, जगह, पढ़ाई-लिखाई, या समाज का स्तर बदलने से, उसके साथ सारा का सारा आसपास का सिस्टम ही बदल जाता है। शायद इसीलिए, एक तरह के गुप्त कोड, आदमी और जगह के बदलने से भी पूरी की पूरी कहानी ही बदल देते हैं?

जैसे कोई पूछे, और क्या चल रहा है आजकल?

या काम हो गया, ऐसे ही आते-जाते रोज-रोज का आम-सा संवाद? 

तो सोचो परिवेश या अलग-अलग इंसानो के पूछने से ही कितना कुछ बदल जाता है ना?  

जैसे यही T? T-पॉइंट बोलें तो रस्ते, दिशाएँ या किसी जगह की लोकेशन जैसे? T-20 बोलें, तो अंग्रेजों का क्रिकेट का खेल, जो बाकी भी कितने ही और देश भी खेलने लगे? अंग्रेजों ने जिसपे लगान भी लगाया? लगान मूवी जैसे? और Tea बोलें तो चाय? अब जगह और बाजार के हिसाब से वो भी कितनी ही तरह की हो सकती है? जहरीली भी जैसे? पीछे जहरीली चाय पे भी कोई पोस्ट पढ़ी होगी आपने? चाय और जहरीली? और केमिकल्स और धरती के उपजाऊ जीवों की मौत? और भी एक ही शब्द से मिलते-जुलते से कितने ही तर्क-वितर्क हो सकते हैं? तो हर शब्द खुद से या किसी से भी खामखाँ जोड़ने की बजाय, खासकर अगर भड़काऊ लगे तो ये सोचें, की वो अगर सीधे-सीधे आप पर या जिसे आप सोच रहे हैं उस पर नहीं लिखा हुआ या बोला गया, तो अलग ही विषय, वस्तु भी हो सकता है।   

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