नंबरों से, स्टीकरों से,
राजनीती से दूर भी एक जहाँ है
और वो जहाँ खुबसुरत है।
वो इंसान को इंसान के रुप में पहचानता है
उसे उसके नाम से जानता है
ना की उसके पिछे छिपे किसी कोड से
किसी राजनीतिक नंबर से।
शायद यहाँ आप लोगों को तब से जानते हैं
जब ना किसी ऐसी राजनीती की खबर थी
और ना ही ऐसे किन्हीं राजनीतिक नंबरों की
या कोड़ों में बटे सिस्टम के कोढ़ की।
यहाँ मतभेद भी हो सकते हैं
संवाद ही नहीं, बल्की, वाद-विवाद भी
मगर एक दूसरे का बूरा चाहने वाले नहीं।
जो चाहते हो ज़िंदगी सरल और आसान
तो ऐसे से कुछ लोगों को साथ रखिए
पढ़िये, देखिए, सुनिये या याद रखिए
ज़िंदगी कैसी भी मुसीबत से पार निकल
सजती-संवरती और आगे बढ़ती जाएगी।
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