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Friday, November 22, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 94

Neo Saang? 

या शायद मुन्ना भाई MBBS? ये कहानी फिर कभी। अभी Neo वाली सुनो। 

Neo? ऐसे नहीं लग रहा जैसे किसी Sci-Fi मूवी में कोई नाम है?    

Neo Saang? Zero makers? Or hero makers? Or maybe legends? एक जैसे-से ही साँग हैं? या अलग-अलग पार्टीयों के हैं? राजनीती के भद्दे जुए के ABCD जैसे?  

जुलाई 2023? क्या खास हुआ था? ऐसे ही कोई छोटी मोटी नौटँकी आसपास? चलता ही रहता है। इसमें भला क्या खास है? मुझे माँ के इस खंडहर में बिजली का थोड़ा सा काम करवाना था। पड़ोस की एक ऑन्टी को बोला और एक इलेक्ट्रीशियन आ गया। उसने कहा gindhran (Madina-B) से है। हालाँकि, बीच में थोड़ा ड्रामा चला की वो तो Rohtak से आता है। खैर। काम हो गया। शायद थोड़ा ज्यादा। थोड़ा ऐसा भी, जो कहा ही नहीं था। उसने मीटर के साथ वाला मैन स्विच हटाकर वहाँ पर कोई Neo के दो स्विच लगा दिए। मुझे जाने क्यों अजीब लगा? खैर काम तो हो गया ना? 

शायद?

जाने क्यों मुझे लगा की इसी से सम्बंधित किसी ट्विटर अकाउंट पर कोई खास पोस्ट आई जैसे? लगा? और कहीं किसी और मीडिया पेज पर ऐसा ही कोई आर्टिकल? Neo से सम्बंधित? ये चल क्या रहा है? क्या है ये? खेल? सेनाएँ तक यही खेलती हैं?   


इस ट्विटर अकॉउंट में सिर्फ और सिर्फ 6 पोस्ट हैं? मुझे इतनी ही दिखाई दी? आपको कितनी दिखाई दे रही हैं? January 2010 में ये प्रोफाइल बनाया गया? January 2010 में ही कोई काँड भी हुआ था क्या?

उसके बाद March 2010 में किसी की सगाई? और फिर वो सगाई की फोटो फाड़कर भी लगाई थी क्या? क्यों?

उसके बाद 6- 6- 2010 को शादी? और शादी की फोटो में एक का मुँह ईधर तो दूसरे का उधर? शादी ही इतने शुभ मुहरत में हुई थी शायद? काँड पे ढक्कन जैसे? कहीं ज्यादा तो नहीं बोल गई?      

वापस प्रोफाइल पर आते हैं। 23 Following और 12 Followers? ऐसा ही दिख रहा है आपको भी? हर पोस्ट एक खास वक़्त या कहो की तारिख को लिखी गई है? और कुछ खास बता रही है, कोड-सा जैसे? ये कम शब्दों या बिना शब्दों के भी ज्यादा कहने या बताने वाले माहिरों में से हैं। 

जब मैं गॉंव आई, तो जैसे पहले भी किन्हीं पोस्ट में लिखा, की यहाँ भी चारों तरफ ऐसे लग रहा था, जैसे ईंट, पथ्थर से लेकर, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तक कुछ कहना चाह रहे हों। और संवाद का दायरा बढ़ता गया। एक ऐसा-सा ही संवाद, Neo वाली घटना के बाद नोटिस किया गया। बिजली का वो काम करवाने के बाद, माँ के इस घर के मीटर के नंबर अचनाक से कुछ के कुछ हो गए। और तभी से फिक्स हैं? अरविंद केजरीवाल दिल्ली में ऐसे ही खेले करके तो फ्री बिजली नहीं देता लोगों को? दिल्ली सरकार आपके द्वार? आप यूनिवर्सिटी के 16 नंबर में हैं? हम भी हैं आपके साथ? 30 में हैं? हम भी साथ-साथ? अच्छा गाँव पहुँच गए, वो भी माँ के खँडहर में? हम आपकी सेवा में यहाँ भी हाज़िर हैं? मुझे तो लगता है ये हॉस्टल से ही चले आ रहे हैं साथ-साथ? या शायद उससे पहले भी, ये खेल एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी ऐसे-से ही चले आ रहे हैं?        



लोगों की ज़िंदगियाँ कहीं ऐसे भी फ़िक्स होती हैं क्या? 
पूछो अपने-अपने नेताओं से? राजनेताओं से?

या शायद ऐसे-ऐसे राजों के राजाओं से?
या रक्षा मंत्रियों से शायद?    

भला ऐसे-ऐसे राज में, कैसे-कैसे नाथ छुपे हो सकते हैं? 

हे धर्त (या धूर्त?) -राष्ट्रो। आपके राज्यों में, नहीं दरबारों में, कैसे-कैसे काँड होते हैं?
जिस घर का भी रुख करो, हम वहीँ हैं? 
आदमी हैं आप, या साए हैं?  

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