तुझे ये भंडोला कैसे पसंद आया? तेरे आसपास तो और बेहतर से ऑफर हुआ करते थे, सुना है।
ये सालों बाद, सिर्फ कहीं ऑनलाइन सुनने या पढ़ने को नहीं मिला, बल्की, तभी से चला आ रहा है। अब किसको क्या पसंद आता है और क्या नहीं और क्यों? इसका सिर्फ किसी के शरीर की बनावट से या रंग-रुप से या हाव-भाव से, या पढ़ाई-लिखाई से या परिवेश से या शायद इनसे आगे भी बहुत से फैक्टर्स से लेना-देना हो सकता है?
हाँ, जहाँ एक्सपेरिमेंट्स हों, वहाँ तो एक्सपेरिमेंट्स करने वालों के, अपने ही किस्म के, कितनी ही तरह के तथ्य हो सकते हैं? ऐसे लोगों बीच और स्टीकरों वालों के बीच फँसना, जैसे ज़िंदगी बर्बाद करना। बस, शायद ऐसा ही कुछ हुआ यहाँ? सुना है दो तरह के इंसान और दो ही तरह के खाने हैं दुनियाँ में?
Food for Thought
और?
Food for Hydra या केकड़ा?
किसका परिणाम है ये?
Jealousy?
Ugly Fights?
Dirty Politics?
Whatever?
और पता नहीं क्या-क्या और कैसे-कैसे ऑपरेशन्स? जो आज तक पीछा कर रहे हैं?
Reflections
वैसे ज्यादा पर्सनल चीजें ऑनलाइन नहीं रखनी चाहिएँ। क्यूँकि, ऑनलाइन कुछ पर्सनल नहीं होता। फिर आज की दुनियाँ में तो ऑनलाइन क्या, ऑफलाइन भी नहीं होता। जाने किधर का रुख हो, तो चेप दे इन्हें भी मेल्स में? अब मेल्स में ही जो आ गया, तो Reflections में क्यों नहीं?
बोतड़ू, ईमेल दिखावें सैं? "Males do need reply.." type?
अब बेचारों के पास पत्र तो हैं नहीं, और क्या दिखाएँगे? इंटरनेट की दुनियाँ के डिजिटल? वैसे डिजिटल आजकल एक फैशन स्टेटमेंट भी है शायद? जहाँ, जिधर देखो, उधर ही ये शब्द मिलेगा। शायद आज की दुनियाँ की जरुरत भी? क्यूँकि, आप किसी भी क्षेत्र में हों, इसके बिना तो गुजारा है नहीं।
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