"घर किराए पे दिया हुआ है। ना किराया दे रहे हैं और ना ही घर खाली कर रहे हैं। हॉकी लेकर आए हुए हैं, घर खाली करवाने। "
ये हॉकी लेकर रेंट वालों के पीछे कब से पड़े हुए हो?
दिल्ली टाइम्स?
यहाँ MDU में भी, तुम्हारी ही हॉकी का राज चल रहा है क्या?
या यहाँ कोई और महान हैं, जिन्होंने सरकारी मकानों तक को अपना प्राइवेट लिमिटेड बना लिया है?
ये कैसा खेल या राजनीती है, जिसमें कोई किसी की डिग्री अपने नाम कर लेता है? और कोई किसी की नौकरी? और कोई किसी की बैंक सेविंग पे कुंडली मार बैठ जाता है? और कोई किसी का ऑनलाइन संसार कंट्रोल कर रहा है? तो कोई ऑफलाइन या हकीकत की ज़िंदगी? कोई रिश्तों की रे-रे माटी कर रहा है तो कोई शरीर की ही? ना हुई बीमारियाँ या मौत की नींद तक सुलाकर? और जिनके साथ ये सब हो रहा है, उन्हें खबर तक नहीं, की उनके साथ ऐसा हो रहा है?
क्या कहा जाए इन सबको? मानव रोबोट्स बनाने वाली सेनाएँ? या आदमखोर लोग?
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