निपुण लोग, Nippon के शेयर खरीदते हैं लगता है? सोचो आपको कुछ ना लेना हो, ना खरीदना हो, ना करना हो, किसी रस्ते ना जाना हो, तो क्या आप वो सब करेंगे? या कोई आपसे करवा देगा और आपको पता भी नहीं चलेगा की ऐसा हुआ है? या आपको पता भी चल जाएगा की ऐसा नहीं हुआ, आपने नहीं किया। आपने नहीं खरीदा। आप वहाँ गए ही नहीं। तो?
किसने खरीदा?
किसने किया?
और कौन गया उस रस्ते? क्यूँकि, सबूत ऐसा बता रहे हैं।
आओ निपुण लोगों के Nippon के शेयर से जानने की कोशिश करते हैं।
सत्ता या सिस्टम कैसे काम करता है, उसके लिए सट्टा बाजार समझना बहुत जरुरी है। पढ़ा कहीं ये। तो सोचा, चलो इसे भी पढ़ लेते हैं थोड़ा बहुत। मगर ना तो रुची पैदा हुई और ना ही पढ़ने का मन किया। सीधी सी बात, अगर रुची ही नहीं होगी किसी विषय में तो पढोगे क्या खाक? ऐसे में ऑनलाइन कुछ प्रोम्प्ट आते हैं और आप एक वेबसाइट पे पहुँचते हैं, ICICI की वेबसाइट के जरिए। वहाँ थोड़ा बहुत पढ़कर कुछ शेयर लेने का मन बनता है। और दो शेयर ले लेते हैं। मगर जाने क्यों लगता है, की शायद ये वो शेयर नहीं हैं, जिनपे आपने क्लिक किया। तो एक और लेकर देख लो, पता चल जाएगा। और आप उन्हीं शेयर के आसपास एक और शेयर पे क्लिक कर देते हैं। वेबसाइट रिफ्रेश हो जाती है अपने आप। मगर अब जो सामने हैं, वो कोई और ही शेयर हैं। आपको उनमें से नहीं लेना। फिर से पीछे वाले शेयर पे जाओ। मगर फिर से वही रिपीट होता है। आपको समझ तो आ गया की गड़बड़ चल रहा है। मगर छोटे मोटे रिस्क आप ले लेते हैं। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? वो थोड़े से पैसे ही जाएँगे ना? यही सोचकर उन्हीं में से किसी एक को लेने का मन बना लेते हैं। मगर ये क्या? उनमें से भी क्लीक उसपे नहीं हो रहा, जिसपे आपने करने का सोचा है। सिर्फ सोचा है, क्लीक किया नहीं है। और देखते ही देखते, कहीं क्लीक भी हो गया और शेयर भी खरीदा गया। और आपके अकॉउंट से पैसे भी कट गए। मगर, आपने तो वो शेयर लिया ही नहीं।
फिर आप सोचें की इसे डिलीट मार, जबरदस्ती है, ऐसा कुछ लेना जो आपने लिया ही नहीं। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? वो थोड़े से पैसे गए। जाने दे। नहीं चाहिए, तो नहीं चाहिए। मगर फिर, वो शेयर कहीं दिखाई ही नहीं देते। जादू? या ट्रिक? या धोखाधड़ी? चाहे कितनी भी छोटी। मगर क्यों? हालाँकि कई बार उनके मेल जरुर आते हैं।
ऐसे निपुण लोग? या कलाकार लोग, बहुत बार करते हैं। वेबसाइट के किसी खास हिस्से को ब्लॉक करना। जैसे, आपको कोई जानकारी चाहिए, उस जानकारी पे क्लिक ही नहीं होगा या तो वो दिखाई ही देना बंद हो जाएगी। या cursor अपने आप, यहाँ-वहाँ भागने लगेगा और किसी और जगह अपने आप क्लिक हो जाएगा। वहाँ रोचक-सी जानकारी मिलेगी, पढ़ो उसे। जैसे जबरदस्ती? अब पता नहीं ऐसे लोगों को निपुण बोलते हैं, स्मार्ट या धोखेबाज़? ये तो चलो, ऑनलाइन है। जहाँ ऐसा कुछ आसानी से संभव है।
क्या ऐसा हकीकत की ज़िंदगी में संभव है? या हो रहा है? या कहना चाहिए की, बड़े स्तर पर हो रहा है? बीमारियाँ, उनमें से एक हैं। उनके इलावा भी, आपकी ज़िंदगी में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है, हर स्तर पे। मगर कैसे? उससे भी अहम, आपको तो उसकी भनक तक नहीं। सारा खेल यही है, भनक तक ना लगने देना। शक तक ना होने देना। ऐसा कुछ आपके दिमाग में आ गया तो आप सतर्क हो जाएँगे और सामने वाले का काम उतना आसान नहीं रहेगा।
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