होर्मोन्स पढ़े हैं क्या आपने?
आदमियों वाले ?
जानवरों वाले?
या पेड़-पौधों वाले?
क्या करते हैं वो सब?
जीवन की अलग-अलग स्टेज पर, अलग-अलग तरह के होर्मोन्स, अलग-अलग तरह से शरीर में उत्तपन होते हैं। सही वक़्त पर सही मात्रा में हों, तो काम के होते हैं। मगर, गलत वक़्त पर, या गलत मात्रा में हों तो? Slow Poision, जैसा काम भी कर सकते हैं। बीमारियाँ भी पैदा करते हैं। और वक़्त रहते, अगर उनसे उपजे लक्षणों का या विपरीत प्रभावों का सही से ईलाज ना किया जाए, तो ज़िंदगी के लिए भी खतरा हो सकते हैं। उसके अलावा, बहुत से सामाजिक खतरों की वजह भी।
अगर आपको इंसानो की बायोलॉजी के बारे में कोई खास जानकारी ना भी हो, तो भी अपने आसपास के पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं से आप बहुत कुछ जान सकते हैं।
जैसे की?
ये नीली चिड़िया, तार पे इन्हीं कुछ घरों के आसपास क्यों बैठती है?
और ये कबूतरों के डेरे? गुटड़-गुं कहीं? कहीं जैसे, आसमानी रेस के घोड़े। आसमानी रेस के घोड़े? या? हनुमानी, मँगल के जुआरी?
ये चील, किन्हीं खास 18 को ही चमगादड़ खाने आती है क्या? या मेरा उसे देखने का coincidence ही ऐसा रहा है?
इधर-उधर के निराले नज़ारे देख, मैंने अभी प्रश्न किया नहीं, की ये जीव-जंतुओं की भी ऐसे परेड कैसे करवाते होंगे? और ये विराज, रोटी का टुकड़ा लेकर गाय के आगे-आगे भागते हुए, गली से बाहर करता हुआ क्या दिखा रहा है?
और ये तो हो गई हद, Tide Over Climate जैसे? ईधर ये मौसी के और ढमालों के "चेन्नई एयरपोर्ट वाले कुत्ते" (?) और उधर वो पहाड़ों वाले हस्कीज़, "काकी" से आगे निकल "कुकड़ी बन जागी" बोल रहे हों जैसे? Too Much na?
बाल बुद्धि? मारना बाछड़ा जैसे? जिसे नहीं मालूम की जो खाना दे, कम से कम उसे तो नहीं मारते।
बैल बुद्धि? खागड़-गाएँ के जोड़े, कहीं ऐसी गाएँ, तो कहीं वैसी गाएँ। कहीं ऐसे खागड़, तो कहीं वैसे खागड़। कैसी-कैसी किस्में और कैसे-कैसे दिन (तारीखें)। कहीं युवा, तो कहीं बुजुर्ग?
ठीक ऐसे जैसे?
जैसे आप सोचो। मेरा तो इसपे कोई सीरीज का मन है। Interestingly-controlled living beings? पिछले कई महीने से खास निगाह है इनपे। वैसे तो ये सिलसिला, H#30 से ही शुरू हो गया था।
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