मुझे तो यही समझ नहीं आता की दुनियाँ भर के नेता जुए के ill effects को ignore कर, कैसे ऐसे-ऐसे मुद्दे सुलझा सकते हैं? जुआ अपने आप में बहुत बड़ी बीमारी है और कितनी ही समस्यायों की जड़ भी।
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- VY
- Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.
Tuesday, December 31, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 21
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 20
राजनीती, जुआ और दुनियाँ का कैसा-कैसा नाश?
क्या हमारा डाटा किसी भी जगह की राजनीती और सिस्टम के हिसाब-किताब से हमारे जीवन की कहानी ही नहीं, बल्की, मौत के तौर-तरीके (जैसे बीमारी) और वक़्त और जगह भी लिख रहा है? Social Engineering upto what level?
ऐसा तो हो नहीं सकता की आप कहीं किसी पत्र की बात करें या उसके बारे में लिखें और कहीं उसके कुछ शब्द किसी नेता की मौत के इर्द-गिर्द सुनते नजर आएँ? भरम ही हो सकता है शायद? जैसे आज किसी पोस्ट में तेजा चूड़ा का नाम आया और कल तेजा खेड़ा और ओम प्रकाश चौटाला? ये तो कोई सेंस वाली बात नहीं हुई ना? भरम ही होगा शायद?
ऐसा भी नहीं हो सकता की आप किसी भूतवास की बात करें और बचपन का कोई देखा गया तमाशा जैसे, "इसमें भूत आ गए", की मौत पर, यादें बन दिमाग में घुम जाए? वहम की कोई तो सीमा होती ही होगी?
ऐसा भी नहीं हो सकता की आप कोई सफेद सीमेंट का पेंट अपने कमरे की दिवार पर करने लगें, जो कुछ वक़्त से ऐसे ही पड़ा था। और रात होते-होते सिर दर्द (वही लेफ्ट साइड) जैसे कह रहा हो, "सुबह उठ पाएगी क्या?" ये दिमाग में भी कोई चणक-सी आती है क्या? Like breakdown of cells? सिर इधर घुमाओ, ये क्या हो रहा है? ऐसा तो पैर की फिजियो के दौरान होता था। फिर उधर घुमाओ और फील करो गररर? और सुबह-सुबह उसका असर जैसे पैर पर भी नजर आए?
फिर कोई ऐसी खबर जैसे, कहीं मिलती-जुलती सी खबरों में नज़र आए? "सच में दिमाग खराब हो गया है? या दिमाग पे ज्यादा असर हो गया है?" -- जैसे कोई आर्टिकल कहता नजर आए? ये कौन जगह है दोस्तो? errr ये कौन दुनिया है कमीनो?
Social Engineering at individual level? बिमारियाँ और मौत तक डिज़ाइन कर रहा है ये सिस्टम? मगर व्यक्तिगत स्तर पर जितने लोगों को दुख-दर्द या बिमारियाँ दे रहा है, क्या उतनों को ही व्यक्तिगत स्तर पर राहत भी दे रहा है? यहाँ गड़बड़ घोटाला है? यहाँ औकात का सवाल आ जाता है?
कुछ जुर्म, कुछ सर्विलांस एब्यूज, कुछ टार्गेटेड अलगोज़ और कुछ conincidences? इन सबका मिलाजुला असर। सर्विलांस एब्यूज, करोड़ों लोगों का डाटा बड़ी-बड़ी कंपनियों के पास और? Genetics और Molecular Bio के स्तर पर एक term होती है Cumulative Effect. अलग अलग तरह के stress factors का असर?
गूगल की गूगली क्या कहती है?
(गूगली, क्यूँकि अलग-अलग search engines की algorithms थोड़े अलग से परिणाम दिखाती हैं।)
Wednesday, December 25, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 19
खाली दिमाग शैतान का घर? या खाली दिमाग क्रिएटिविटी या किसी तरह की जानकारी का साधन भी हो सकता है? शायद? क्यूँकि, भागम-भाग के रूटीन में सिर्फ deadline होती हैं? जिनका नाम ही dead से शुरु होता है? जिसमें शायद भेझा ही dead हो जाता है? या शायद किसी भी तरह का लम्बे समय तक एक जैसा रूटीन? वैसे तो ये किसी भी प्रोफेशन पर लागू होता है। मगर राजनीती और आगे बढ़ने या और ज्यादा कमाने या ज्यादा से ज्यादा पर अपना अधिकार करने वाले प्रोफेशंस पर ये ज्यादा लागू होता है?
खैर! पीछे लिखा कहीं भूतवास?
"अपने घर के किसी भी रिस्ते के झगड़े, बीमारी या मौत पर एक निगाह डालो। पहले ये राजनीतिक पार्टियों के भूत, ये सब आपकी जानकारी के बिना कर रहे थे और अब? काफी कुछ ना सिर्फ आपकी जानकारी से, बल्की, खुद आपको साथ लेकर?"
और लो, सच का याद दिला दिया जैसे। बचपन में हमारे घर के पास ही, एक घर होता था। स्कूल जाना ही शुरु किया था शायद। वहाँ कई बार, एक बुआ चिल्ला रहे होते थे, पता नहीं क्या अजीबोगरीब-सा और उनके घर वाले उन्हें खाट से बाँध देते थे। बड़ा डरावना-सा नजारा होता था। हम बच्चे दूर से देखते थे और वो बोलते थे इसमें भूत आ गए। दादा जी उसे मिर्गी का दौरा बोलते थे। तब मिर्गी या भूत, दोनों की ही जानकारी नहीं थी। एक दिन छोटा भाई पहुँच गया उनके घर के बाहर और उन बुआ ने कूटना शुरू ही किया था की अंदर से उन्हें पकड़ने आ गए उनके घर वाले और वो बच गया। मगर टेशुएँ ऐसे बहा रहा था, जैसे, सच में कोई अभी भी पीट रहा हो। दादी ने उसे बड़ी मुश्किल से चुप कराया था और कह रही थी, फिर जाएगा तमाशा देखने? जा, तेरे में भी भूत आ जाएँगे। और वो अभी भी काँपता-सा कह रहा था, अब कभी नहीं जाऊँगा। कल पता चला वो बुआ चल निकले। पता ही नहीं था की अभी तक ज़िंदा है। लगता ही नहीं था उन्हें देखकर, की वो बहुत ज्यादा जिएँगे। सदियाँ हो गई जैसे उन ज़मानों को। मगर कुछ वक़्त गुजारो तो फिर से अपने गाँव में, पता नहीं क्या-क्या दिख या सुन जाएगा। या दिखा या सुना या याद दिला देंगे, दिलाने वाले? राजनीतिक भूत? पता नहीं कहाँ-कहाँ की सैर करवा देंगे?
एक तरह से देखा जाए तो तब और अब में सच में सदियों-सा फासला है, गाँवों में भी।
How Was The Year 2024?
कैसा रहा ये साल? क्या है आपका हाल?
ये वो साल था जब लिखना और इंटरनेट ही जैसे एकमात्र सहारा था, बाहर की दुनियाँ से इंटरैक्शन का। फोन तकरीबन बंद था जैसे। चल रहा था शायद कुछ अजीबोगरीब सन्देश या कॉल्स सुनने के लिए। कुछ कोड से जैसे ईधर के, और कुछ उधर के? और कुछ खामखाँ भी।
इतने सालोँ बाद कार गुल थी ऐसे, जैसे, दुनियाँ ही थम-सी गई हो? कार हमें सच में Independent बनाती है या शायद काफी हद तक Dependent भी?
एक तरफ "Reflections" के लिए वक़्त था तो दूसरी तरफ कुछ अजीबोगरीब बावलीबूचों के कारनामों से निकला, "महारे बावली बूचां के अड्डे अर घणे श्याणे?" चाहें तो खीझ सकते हैं और चाहें तो हँस सकते हैं? Refelections से पहले शायद "दादा जी का छोटा-सा खजाना" किताब बन निकले? जिसके साथ लगता है, काफी छेड़-छाड़ हुई है। क्यों? ऐसा क्या खास था उनमें? कुछ जो मुझे पता है और कुछ शायद ही कभी पता चले। क्यूँकि, उनके ज्यादातर पत्र मैं पढ़ती थी। जब घर होती तो पढ़वाते ही मुझसे थे, खासकर हिंदी वाले। ये कुछ कहाँ से आ टपके? और एक-आध जो उनकी मर्त्यु के बाद भी मेरे पास था, वो कहाँ और कैसे गुल गए? पता नहीं। ऐसा तो कोई बहुत खास भी नहीं था उनमें। या शायद इधर-उधर हिंट आ चुके?
वैसे पापा से सम्बंधित सिर्फ एक ही पत्र पढ़ा था मैंने, दादा जी के रहते। वो भी उनकी अलमीरा की सफाई करते वक़्त मेरे हाथ लग गया था इसलिए। कुछ बहुत पुराने हैं, मेरे जन्म से भी पहले के तो शायद कभी सामने नहीं आए। दुबके पड़े थे जैसे, इस, उस डायरी में। उनसे कुछ लोग शायद अपने जन्मदिन या आसपास के कुछ इवेंट्स जान पाए, जिन्हें आज तक नहीं पता?
बाकी जो पहले से लिखने वाले प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वो तो वक़्त लेंगे। क्यूँकि, वो सिर्फ Reflections, यादें या खीझने की बजाए, satire जैसा विषय नहीं हैं।
इतने बुरे के बीच शायद, कुछ आसपास के लिए अच्छा भी रहा? बहुत सालों से ठहरी-सी या मरते-मरते बचती-सी ज़िंदगियाँ, शायद फिर से चल निकलें? उम्मीद पे दुनियाँ कायम है। ऐसी-सी ही कुछ ज़िंदगियाँ, आपको किसी भी हाल में जैसे प्रेरित करती नज़र आती हैं। कह रही हों जैसे, और कुछ ना हो सके तो थोड़ा-बहुत हमारे लिए ही कर दो। और जो शायद आप कर भी सकते हैं। शायद कोई छोटा-मोटा प्रोजेक्ट ही?
आपका कैसा रहा ये साल? Merry XMAS & Happy New Year!
Monday, December 23, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 17
बुझो तो जाने?
"माँ नै मिलें हों, तै तैने मिलैंगे"
ये क्या था?
Bro Up Vs. Broom Up युद्ध?
ऐसे ही जैसे, महारे बावली बूचाँ के अड्डे? अर घणे श्याणे?
बाप नै मिलें हों, तै तैने मिलेंगें?
अब ये सब कहने वालों को नहीं पता ये कैसे माँ-बाप की बात हो रही है? मगर फिट तो कहीं भी किए जा सकते हैं? किस्से-कहानी घड़ना, बनाना या तोड़ना-मरोड़ना कितना मुश्किल है?
ये आपके अपने पैसों की बात भी हो सकती है। कोई पेंशन की बात भी हो सकती है। किसी तरह के सुख-सुविधा की भी। किसी की नौकरी या किसी तरह के व्यवसाय की भी। या सुख या दुख की भी शायद? या आपकी सेहत की? और भी कितना कुछ हो सकता है? जो अक्सर माँ-बाप के साथ होता है, वैसा ही बच्चों के साथ भी? या शायद नहीं भी? बहुत से कारकों और कारणों पर निर्भर करता है। ठीक वैसे ही जैसे, किसी भी जाती में पैदा हुआ बच्चा जरुरी नहीं की उसी जाती से सदियों से जुड़ा काम करे? कोई बीमारी, जो माँ-बाप को हो, जरुरी नहीं उनके बच्चों को भी हो? कोई गरीब या मध्य वर्ग में पैदा हुआ हो, तो जरुरी नहीं की वो वहीं तक तरक्की करे? कोई अमिर घर की पैदाइश हो, तो जरुरी नहीं वो भी अमिर ही रहे?
मगर बहुत से कारण या कभी-कभी आपका सिस्टम या आपके वहाँ की राजनीती शायद ऐसा घड़ सकती है। कभी-कभी नहीं, बल्की, ज्यादातर कहना चाहिए। क्यूँकि, माहौल ही बनाता है और माहौल ही बिगड़ता है। माहौल ही उठाता है और माहौल ही गिराता है। उस माहौल को बदलना बहुत जरुरी होता है। खासकर, किसी भी तरह के बुरे से बचने के लिए।
Is this hacking?
Documents change, posts, designation and persons change? One and same thing?
Memory lane Fixes?
Long term?
Short term?
Kharkhoda arrest? Alcohol Abuse Stories?
Designation or degree changes, name changes?
Teja chuda Captain?
Herdev Singh Captain?
Jaivir Singh? Jasbir Singh Dangi? JS Dangi? Jasvir? Jaiveer? Jaibeer? Jai Prakash? Too much? Few letters of some specific time period only and so many changes?
Baldev Singh, BA BT? Or?
Some letters seem out of nowhere? Some changes seem?
Like? It was happening in office or campus home?
With books?
MDU telephone directory?
Book on Gene Editing?
Stationery? Chemicals? Instruments?
Plants chnages in home? In University as well as village?
Software, hardware, phone, ipad, laptops, PCs changes?
Like changes in online documents?
Cars? Tyres, driver seat safty belt? break? entire car?
Washing? Freeze? Almirah? Change or break whatever can?
Infrastructure? Name of cities, villages address?
And humans too? Relations? फूट डालो राज करो अभियान? Home or office helpers removal? A try to drag towards menial and unproductive work?
Make beautiful ugly? Snatch away whatever can? Block or create hurdles wherever can?
Corrections Measures? Ignore? Counter? Or start to hate such impositions?
Juggernaut? A huge powerful and overwhelming force? Creation of and by?
क्या है ये सब? Micromanagement at every possible level, by every political party, along with big companies?
युद्धों में जैसे सेनाएँ मूव करती हैं, ऐसे ही हर जीव और निर्जीव? किसी भी जगह की राजनीती की चाल-ढाल के अनुसार? इतना कुछ लिखा जाना तो संभव ही नहीं है। मगर, थोड़ा-बहुत तो जरुर आपको दिखाया और समझाया ही जा सकता है।
Saturday, December 21, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 16
बुझो तो जाने?
भेझे खराब हो रहे हैं सालां के? नाश जा रहा सै कती?
क्या भेझे खराब किए भी जा सकते हैं? या अपने आप हो रहे हैं? आप कहेंगे शायद दोनों ही सच हो सकते हैं?
आपणे एक ताऊ गजनी तै पूछाँ? मान लो वो ताऊ रोज आपणे आसपास के अड़ोस-पड़ोस में घूमै सै, भूत-सा (Surveillance Abuse)। अर एंडी घने मजे ले रहया सै सबके?
आएँ, समँदर की बहु सै बेबे? के कर री सै?
ना ताऊ, समन्दर की पोती लागू सूं। भाँडे मांजू सूं, तू भी मँजवावेगा के?
भाई रामकली तै भाँडे माँज ए सै। अर यो कह क ताऊ गुल।
थोड़ी देर बाद, आएँ, मंजू सै बेटी, लते धोवे सै?
ना ताऊ, विजय सूं, थोड़ी देर में इन न मशीन मैं तै काढ कै पानी मैं तै काढ़ दिए।
आँ र भाई था के? मैंने तै लाग्या छोरी सै, कहकै अर ताऊ गुल।
आएँ, अनुराधा सै बेटी? अनुराधा पोडवाल? कौन-सा गाणा गावै सै?
ना ताऊ, गाणा, गाणा ना आता मैंने, तू के आड़े गीत गाण आ रा सै?
अर ताऊ गुल। पर गीतां की आवाज़ बेरा ना कित तै आवै सै यो? शायद ताऊ खुद गाण लाग रा सै?
थोड़ी देर बाद, आएँ, पूनम कॉलेज जा सै बेटी?
ना ताऊ, घराँ ए पढ़ा करूँ। कॉलेज मैं तै सांग माच रा सै।
अर ताऊ गुल।
थोड़ी देर बाद, आएँ अंगूरी गोडां का दर्द ठीक होगा बेटी?
मन में सोचते हुए, यो ताऊ क्यों पाछए लाग रा सै? जब इतनी बै इस्ते नाम बता लिया? फेर किमै बकवास? लाग-ए सै, किमैं बढ़िया-सी सुणकै मानेगा?
ताऊ के नाम सै तेरा? कितै आया करे तू? यादास्त कमजोर हो री लागी तैरी? कती गजनी हो रा सै। आपणए घराँ रहया कर। खु-खा जागा कितै।
अं? किमै कह थी बेटी बहरी? कप्तान ठीक सै? अर बालक-बच्चे सब राजी?
हाँ ताऊ मणसे। दादी भी ठीक सै। अर दादा कप्तान तेरे धोर ए रह सै। बात होती होगी उसते तो?
अं? सुणता बेटी? फौजी छूटी आ रा सै के? अर तू ईब ठीक सै बेटी? तेरा ऑपरेशन होया बताया पाछे-सी?
अर वा दयावंती तैरी बाहण लाग्य सै के? उसका फौजी भी छुट्टी आ रा सै बेटी? सुणा उसका भी किमै ऑपरेशन सा होरा था पाछे-सी? वा ठीक सै ईब?
भुतणी के, नाम तै लेणे सीख ले पहलयॉँ। आड़े तै सारीयाँ के ऑपरेशन हो रहे सैं। के सुणता, के दयावंती, के बब्ता अर के हर्ता। सबकै घराँ भूतवास बना राख्या सै के तैने भूत नै?
एक और आवाज़-सी आवे सै,
ताऊ, ईब तू दादी कमलेश तै बकवास करण लाग्या? तैने किमै और काम कोणी?
आएँ बिंदु की बहु सै के बेटी?
ताऊ, ईब तैने मोदी की बहु बिंदु की बहु लागय सै?
अहं? मोदी क बहु भी सै?
औरां न बहरी कहता हांड्य सै। खुद नै न्यू दिखावै सै, जणू बहरा हो।
बेटी ईब तू आड़े के करण आगी?
ताऊ मणसे, मैं तेरे चक्रव्युह नै देखण अर सुणण आगी। के कर रा सै यो? तैने बहु-बेटियाँ, भतीजी भाणजी अर पोती या दोहतियाँ तही का फर्क ना बेरा के? कौण किसकी बहु, बेटी या लुगाई सै, ना यो बेरा? क्यों बकवास करता हांड्य सै? चकरी काट रा चारों औड़, सबनै फद्दू बनाता।
ताऊ मणसा? यो तो गजनी ताऊ जिसा नहीं लागता? या शायद बुजुर्ग सारे ए इसे होज्या सैं, बुढ़ापे मैं?
कहीं यही तो हैकिंग (Hacking) नहीं? भेजों की हैकिंग (Mind Control and making of human robots)?
गूगल बाबा क्या कहता है?
दिमागों पर कब्ज़े करने की ट्रैनिंग या प्रैक्टिस करवा, उनमें अपनी-अपनी तरह के किटाणु पैदा करना? या बाहर से भरने की कोशिश करना? वो भी दूर बैठे?
कंप्यूटर के नियम इंसानो पर या इंसानो के नियम कंप्यूटर जैसी मशीनों पर? अगर आप एक कंप्यूटर हैं तो आपका आसपास या समाज? नेटवर्क? सामाजिक ताना-बाना? आपसी बोलचाल, रिस्ते-नाते? उनमें गड़बड़ जैसे अलग-अलग तरह के नुकसान करने वाले किटाणु भरना या छोड़ देना? Just like microlab media? समाज एक बड़ी माइक्रो मीडिया लैब?
आपको मालूम है की सामने वाले से आपका रिस्ता क्या है, मगर? मगर आप सामने वाले को परेशान करने के लिए या शायद नीचा दिखाने के लिए ऐसा कुछ कर रहे हैं? मगर ज्यादा नुकसान किसे हो रहा है? कहीं खुद वो सब करने या कहने वाले को तो नहीं हो रहा? शायद?
अपने घर के किसी भी रिस्ते के झगड़े, बीमारी या मौत पर एक निगाह डालो। पहले ये राजनीतिक पार्टियों के भूत, ये सब आपकी जानकारी के बिना कर रहे थे और अब? काफी कुछ ना सिर्फ आपकी जानकारी से, बल्की, खुद आपको साथ लेकर? जैसे अपने पैर पे खुद कुल्हाड़ी मारना?
कहीं वो AA बना रहे हैं? कहीं BB या BC? कहीं CC या DD? कहीं EE, FF? या शायद in a या in b या in c या in d? या शायद ऐसी ही कुछ और खुरापात? अब तक परिणाम क्या हुए या जो अब चला रखा है, उसके आगे क्या हो सकते हैं?
आपकी इंसान रुपी मशीन, उसका दिमाग और आपका समाज रुपी ताना-बाना (नेटवर्क), दोनों ही बहुत ज्यादा इन्फेक्टेड हैं शायद? जिसमें आप खुद को और अपनों को ही शक और खतरे के घेरे में रख रहे हैं। किसी भी माँ या बेटी, बाप या बेटे या ऐसे किसी और रिस्ते की ज़िंदगी की कहानियों को मिलाने की कोशिशें ऐसे ही वातावरण की देन होती हैं। ऐसे-ऐसे कुछ एक उदाहरण आपके आसपास ही मिल जाएँगे। कुछ में वक़्त रहते सही दिशा देने की गुंजाईश हमेशा रहती है। कुछ एक ऐसे भी उदाहरण आसपास होंगे, वो भी तरो-ताजा?
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 15
और उन्होंने तेजा चूड़े को मार दिया? या तेजा चूड़े ने फलाना-धमकाना को? क्यूँकि, उसी दिन ये भी सुना की वो तेजा चूड़ा तो परिवार समेत गाँव आ चुका और यहीं रहता है? वो लड़की उन्हीं के यहाँ बहु थी शायद?
इतना सड़ा, गला, कटा-फट्टा पत्र कहाँ से ढूंढ लाए? ये सब दादा के पत्रों में ही था, जो उनके जाने के बाद मैंने रख लिए थे। कुछ जमीन-जायदाद पे लड़-झगड़ रहे थे, तो कोई उस सबमें सिस्टम और राजनीती की अजीबोगरीब पहेलियों को जानने की कोशिश कर रहा हो जैसे?
कहीं कुछ गड़बड़ घौटाला जैसे?
कुछ गड़बड़ घौटाला समझ आ रहा है कहीं?
आगे की कहानी, आगे पोस्ट में।
"माँ नै मिलें हों, तै तैने मिलैंगे"
क्या था ये?
पीढ़ी दर पीढ़ी क्या चलता है ये? या सिस्टम या राजनीती चलाती है? अगर थोड़ी-बहुत भी ऐसे सिस्टम की समझ हो, तो उससे बचा भी जा सकता है?
Bro Up Vs. Broom Up युद्ध?
या जैसे, बुझो तो जाने? आप कहाँ रह रहें हैं या कहाँ धकेल दिए जाते हैं, इस सबका उससे बहुत कुछ लेना-देना है?
Friday, December 20, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 14
ताऊ? अल्फा? बीटा? सिग्मा? हन्नू? शिव? राम? लक्षमण? भीम? घटोत्कच? एकलव्या?
ताई? हिडिम्बा? सुर्पणखां? सीता? मेनका? पार्वती? द्रोपदी? कुंती? केकैयी?
और भी कितनी ही तरह के अनोखे नाम हो सकते हैं? अलग-अलग जगहों और सभ्यता या समाजों के हिसाब-किताब के? जो जिसको जहाँ फिट लगे, वहीँ लगा दो या बोल दो?
बावली तरेड़, गडंगबाज़ कितै के।
बदलाम-बदलाई
घपलाम-घपलाई
बदलते चलो, बदलते चलो।
छीनते, लूटते, कूटते, पीटते चलो।
आपणी-आपणी किस्म की मोहर ठोकते चलो
जहाँ भी ठोक सको, ठोकते चलो?
जहाँ भी जैसी भी कहानी,
जिस किसी विषय पर घड़ सको
घड़ते चलो?
Psychological Manipulations
सारा खेल इन किस्से-कहानियों की घड़ाईयों का है? कौन-सी पार्टी, कैसी कहानी घड़ कर, कहाँ अपने अनुसार फिट करना चाहती है? हर पार्टी की अपनी ही तरह की कहानियाँ या किस्से, उसके अपने डिज़ाइन के अनुसार मिलेंगें। और ज्यादातर कहानियों में ऐसा कुछ होगा, जो मानसिक तौर पर आपको उकसाएगा, भड़कायेगा। जैसे, मानसिक भड़क पैदा कर अपना काम निकाल जाना।
इसमें short term memory cells और long term memory cells के ज्ञान-विज्ञान को भुनाना अहम है। ये सब तभी संभव है जब उन्हें आपके, आपके परिवार और आसपास के बारे में काफी कुछ पता हो। सर्विलांस एब्यूज 24-घंटे ऐसे ही काम आता है इन पार्टियों और बड़ी-बड़ी कंपनियों के, अपनी तरह का और अपने हिसाब का समाज घड़ने में। सोशल इंजीनियरिंग, सोशल किस्से-कहानियों के जरिए। ऐसे किस्से-कहानी घड़ना की हर इंसान को लगे, जैसे, ये तो उसकी अपनी या उसके अपने परिवार या बहुत ही आसपास की कहानी हो जैसे। फोकस हर इंसान पर, हर इंसान की ज़िंदगी पर। मगर, ज्यादातर उसके भले के लिए नहीं, बल्की अपने फायदे के लिए।
आओ ऐसे-ऐसे ही आसपास के छोटे-छोटे से किस्से-कहानी सुनते हैं।
तेजा चूड़ा क्यों ठा लिया यो? इतना सड़ा, गला, कटा-फट्टा, पत्र कहाँ से ढूंढ लाए?
कुछ गड़बड़ घौटाला जैसे?
और शाम को ही पड़ोस वाली दादी को कोई लड़की पूछती है, जब मैं उन दादी के घर के पास से गुजर रही होती हूँ। वो हैं क्या यहाँ?
अंदर देख लो। आवाज़ लगा लो, शायद यहीं हैं।
और दादी मेरी आवाज़ सुनकर अंदर से बोलते हैं, कौन है मंजु?
जाओ, वो रहे।
दादी उसे वहीं से बोलते हैं, तुम बम्बई (मुंबई) से कब आए?
और दूसरी तरफ से दादा जीत बोलते हैं। पैसे दे दो इसे।
उन दिनों मुझे काम वाली (House Help) की जरुरत होती है और मुझे लगता है, शायद कोई नई काम करने वाली होगी। और मैं भाई के घर जाने की बजाय (जो कुछ कदम आगे है), वापस मुड़कर वहीँ आ जाती हूँ। और दादी से पूछती हूँ, दादी ये काम करने वाली है?
उसे शायद पैसे चाहिएँ थे या उसने काम किया था, ऐसा कुछ चल रहा था। और मैं पूछती हूँ, कहाँ से हैं ये। नए हैं कोई? कहाँ से आते हैं?
और बात तेजा चूड़े और मुंबई पर आ रुकती है।
ऐसा अकसर होता है की मैं कुछ पढ़ रही हों या लिख रही हों और आसपास में कोई ड्रामा या हकीकत उसके आसपास घूमता मिलेगा।
फिर कई महीनों बाद आप कोई विडियो देखते हैं यूट्यूब पर। पता नहीं क्या कुछ गा रहा हो जैसे?
जैसे?
और उन्होंने तेजा चूड़े को मार दिया? या तेजा चूड़े ने फलाना-धमकाना को? इतना सुनने के बाद, अपना दिमाग खराब करने की बजाए, मैं कोई और विडियो (ऑनलाइन न्यूज़) देखने लगती हूँ।
आगे की कहानी, आगे पोस्ट में।
Thursday, December 19, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 13
Resignation मुश्किल नहीं था। बल्की बहुत ही आसान बना दिया गया था, वहाँ के रोज-रोज के कारनामों ने। माहौल ने। शायद ऐसे जैसे, आपको उल्टी आ रही हो और रोकना असंभव-सा हो।
लिखने पे सारा ध्यान देना, वो उल्टी था शायद। जब आपको लगे की इतना कुछ हज़म नहीं हो सकता और ना ही करना चाहिए। आम आदमी को इस दुनियाँ की खबर होनी चाहिए। और Resignation के बाद पहली किताब ही वो उल्टी थी। Shadows Circus of Governance. आपको कुछ भी ना पता हो, तो शायद बहुत कुछ समझ नहीं आएगा। मगर थोड़ा बहुत भी पता हो, तो, हर शब्द और हर तस्वीर जैसे, उल्टी करती नज़र आएगी।
उसके बाद शुरु हुआ Campus Crime Series Case Studies. जिनके बारे में खुद मुझे उतना पता नहीं था, जब वो सब चल रहा था। बहुत कुछ उन्हें सीरीज में लगाने के बाद समझ आया और कई बार पढ़ने के बाद। रोकने वालों ने जहाँ वो सब destroy करने की कोशिश की, तो सहायता करने वाले भी थे, जिन्होंने तरीके बताए की कैसे उन्हें जनता तक पहुँचाया जा सकता है। या Permanantly ऑनलाइन सेफ किया जा सकता है। एक बार किसी भी फॉर्म में ऑनलाइन आया, फिर उनका कुछ नहीं नष्ट होना। पता नहीं कहाँ-कहाँ उनकी कॉपी पहुँच जाएँगी। यही गले का फंदा भी बना और जेल कोठरी भी। Kidnapped by police में जो House arrest बताया या समझाया गया था। वो सही मायने में गाँव आकर समझा, की ऐसे भी होता है? जैसे, जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है, वो दिखता नहीं?
कहीं पढ़ा था की जहाँ-जहाँ लैब एनिमल्स टैस्टिंग चल रही हैं या लैब एनिमल्स हॉउस हैं या zoo हैं, उन-उन शहरों या एरिया में ऐसा कुछ हकीकत में इंसानो के साथ हो रहा है। और ज्यादातर को मालूम ही नहीं है। ऐसा ही एरिया और समाज के स्तर के हिसाब-किताब से है। अगर आप गेटेड कम्युनिटी में हैं तो सॉफिस्टिक्टेड लैब लेवल मिलेगा।अगर ऐसी कम्युनिटीज़ में बाहरी दखल भी है या आना-जाना आसान है, किन्हीं खास लोगों का या एरिया के लोगों का या जीव-जन्तुओँ का, तो वहाँ वैसी ही मिक्स्ड खिचड़ी मिलेगी। कहीं सॉफिस्टिकेटेड स्तर और कहीं रुखा (Rude or Rustic)। इतने सालोँ बाद गाँव वापस आकर, उस रुखे स्तर का जैसे निम्नतम स्तर भी देखने को मिला। खासकर भाभी की मौत के बाद, जैसे चील, बाज़, कोतरी और पता नहीं कैसे-कैसे जीव-जंतु, वो सब दिखा और समझा रहे हों। उसके बाद आसपास कई और मौतें हुई और वो नज़ारे कम नहीं हुए।
आपका आसपास, आपका माहौल कुछ कहता है? नहीं, शायद बहुत कुछ कहता है। उस Social Lab और उसके Media को जानने की कोशिश करो, बहुत कुछ गलत या बुरा, शायद सही होने लगेगा। या कम से कम, कुछ हद तक आप वो बुरा रोक पाओगे। कैसे? कुछ एक हकीकत की ज़िंदगी के केस जानते हैं, आसपास से ही।
Wednesday, December 18, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 12
Chemicals, Hormonal, Psychological Fixes?
कुत्तां की लड़ाई 14, 15, 16? चिल्लाँ की चैं-चैं 16-12-2024? कागाँ की काँव-काँव?
अर?
Hormonal Fixes?
Physiological Manipulations?
Fake Diagnostics?
Infections fixes?
Creations by different kinda settings or alterations or adulterants, and accumulative impacts?
Changing your choices?
Favourites?
Making functional to nonfunctional and vice-versa?
Downgrading anything and everything?
Enforcing indiect ways to bring home bad and give away something good? Or maybe true the other way?
Hormonal Fixes?
Period time fix?
Puberty time fix?
Infections fixes?
Fever, Virals time fix?
Physiological Manipulations or Fake Diagnostics?
Jaundice time fix?
Cancer time fix?
Stones problems time fix?
Creations by different kinda settings or alterations or adulterants?
and accumulative impacts?
Heart attacks?
Nerve problems?
Paralysis?
और कोई भी बीमारी का नाम लो? और कितनी ही तरह के fixes हाज़िर हैं? Corona नहीं होता और उस दौरान और उसके बाद इतनी सारी आसपास की बिमारियों को देखा-समझा नहीं होता, तो ये सब कहाँ पता चलना था? इंसान ही नहीं, बल्की पेड़-पौधे, जानवर, पशु-पक्षी, कीट-पतँग सब राजनीतिक सिस्टम की चपेट में हैं।
Grasshoppers attacks?
Falcons or Eagles अड्डा? Veternary Hospital और आसपास का एरिया?
Bats, ants, wasps, different types spparows, sunbirds, blue bird, crow, myna आदि पक्षी कब कहाँ आते जाते हैं? और कहाँ और क्यों बैठते हैं? शुरु-शुरु में मुझे लगा भरम है या ज्यादा सोच रही हूँ। मगर, विज्ञान है और ज्ञान है।
जैसे किस-किस घर या प्लॉट में या खेत में या खाली पड़ी जगहों पे क्या-क्या उगता है या उगाया जाता है और क्यों?
तो आगे जानने की कोशिश करें, कुछ एक ऐसे-ऐसे किस्से-कहानी हकीकत के?
Tuesday, December 17, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 11
Miseries and cult belong to each other?
यो ताऊ पुलिसिआ सै? कोय फौजी सै? पढानिया सै? या नेता सै? या लिखने वाला, किस्से-कहानी सुनाने वाला दादा, नाना या दादी, नानी कोई? या दिन-रात 24-घंटे बड़बड़ करने वाला मीडिया चैनल कोई? या कोए और?
ये किसी तरह के चिन्तन पे लेकर जाएगा? या किसी ऑडिटोरियम में कोई साँग दिखाएगा? या स्टेडियम, खेल के नाम पर घिनौना युद्ध जैसे कोई?
Common people's perception about that narrative or information cocoon?
How real characters know that story and how they correlate with past or present?
जैसे
भाई रै विश्व युद्ध चाल रहा सै,
जुकर,
आप आपने राम, आप आपने शिव
आप आपने गुरु, आप आपने जीजस
तड़कै-तड़क चील आड़ तही सुनै थे चैं-चैं करते
अर, कुत्ते हॉन्डें सै गलिया मैं भों-भों करते
एक दूसरे नै काटते,
अपना-अपना अधिकार जमाते, मोहर लगाते
आपणी-आपणी किस्म, अर,
आपणी-आपणी किस्म का बॉर्डर सील करते।
कती साँग काट राख्या सै, राजनीती के कसाईयाँ नै।
जियोग्राफिक बॉर्डर्स और राजनीतिक बॉर्डर्स का फर्क, बहुत कुछ बताता है, इन सबके बारे में।
Saturday, December 14, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 10
सुने-सुने से शब्द?
Information is power but correct information?
Learn safty measures of any instrument first, then use?
Know safty measures and precautions first, then enter the lab?
Learn to apply break first, then drive?
Surrounding matters?
Misinformation?
Breaking News?
इन्हें आगे कहीं Social Tales of Social Engineering की घड़ी गई लोगों की ज़िंदगी की हकीकत से जानने की कोशिश करेंगे।
Information Diet?
शायद थोड़ा-सा नया है?
Information cocoon?
जैसे?
"जो चार धाम जाए वो मुक्ती को पाए" ?
" सतगुरु की शरण, सतगुरु उतारेंगे पार" ?
और Social Tales of Social Engineering in that Information cocoon zone ?
जैसे? महारे बावली बूचाँ के अड्डे? अर घणे श्याणे?
और metaphores सोसाइटी के किसी और स्तर पर?
Thursday, December 12, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 9
Why AWS is using generative AI to increase its sales?
Custom Content? Advertisement.
नौकरी के लिए अप्लाई करें?
तो रेफरी तो चाहियेंगे? या शायद ऐसे भी चल जाए? क्यूँकि, कई जगह ऑप्शनल है। चलो क्यों खाली छोड़ा? भर ही देते हैं? अब जिनके नाम लिखेंगे, उनसे ईजाजत तो लेनी पड़ेगी? मालूम है, मना नहीं करेंगे तो भी इन्फॉर्म करना तो बनता है? और हो गए 2-3 फोन इधर-उधर?
भर दिए एक-आध फॉर्म? हालाँकि, कुछ गड़बड़ लग रही है? कुछ? या बहुत कुछ? कुछ-कुछ वैसा ही, जैसा जब मीडिया प्रोग्राम्स के लिए अप्लाई करना शुरू किया था, तब हुआ था? या उससे भी थोड़ा आगे?
और कुछ दिनों बाद, ऐसे ही कोई विडियो सामने आता है।
Bitch, called blah blah? And what she was expecting, if not Trump?
Seriously?
ये क्या था? घुमाने की कोशिश? क्यूँकि, आलतू-फालतू विडियो या सर्च-इंजन रीडिंग मैटेरियल पता नहीं कहाँ-कहाँ घुमाता ही रहता है।
Do I like Trump?
Personally, No.
And Kamala Harris?
No.
Politicians and likeness? Rare for me.
But, how does it matter? Especially, when you are an Indian and living in India?
Look for more jobs across continents now, and not just selected places.
तो नौकरियों पे ऐसे कंट्रोल है? जैसे बाकी और संसाधनों पर? Highly coded?
Some interesting questions somewhere.
Why did you apply here? Minority support?
No answer. OK answer.
At some other place, some highly offensive material.
Like?
Disability? Special ability? Specially abled?
Eyessight?
Height?
Colour?
Deafness?
Colour blindness?
Skin burns?
Hair burns?
and long list of blah blah
और आप सोचें, ऐसा किसे फोन कर दिया तुने? आम से प्रोफेसर्स? जिन्हें आप स्टूडेंट टाइम से जानते हैं। वो भी कहीं बाहर के नहीं, बल्की, आपकी अपनी यूनिवर्सिटी से।
Politically Active?
एक शायद? बाकी दो का no idea. वैसे प्रोफेसर्स का Politically Active होना गुनाह कब से हो गया? सबसे बड़ी बात, जहाँ वो एक भी थोड़ा बहुत Politically Active होंगे, मुझे वो पार्टी ही पसंद नहीं।
रेफरी हम वो लिखते हैं, जो हमें काफी वक़्त से जानते हैं या हमारे अपने फील्ड के हैं? जिनके साथ या जिनकी देखरेख में आपने काम किया हुआ है? या जिनके आसपास आपने काम किया हुआ है? या ये देखकर की कौन, किस पार्टी से सम्बंधित है?
ये तो ऐसे नहीं हो गया, की अगर आपके घर में आपके राजनीतिक विचार एक जैसे नहीं हों, तो पोस्ट के लिए पता पड़ोसी का या कहीं और का देंगे?
Highly controlled online zone? Difficult to judge? Can such material be on some official site?
2021 में जब मीडिया प्रोग्राम्स के लिए अप्लाई करना शुरू किया था, तो क्या हुआ था?
Creation of dates confusion, like last date to apply and start date to apply etc. Somehow applied? then? Name change, send certificate of marriage and some other such बकवास। Who will study at such places? घर बैठे ही पढ़ लिया वो सब तो। लगता है अब नौकरी भी घर बैठे ही होने वाली है।
ये तो मान लो बहुत ज्यादा टार्गेटेड केस है। जहाँ वो हर कदम पर आपको अपने अनुसार चलाना चाहते हैं। नहीं चलोगे तो? खत्म कर देंगे वाले डरावे।
क्या ऐसा कुछ ऐसे लोगों की ज़िंदगियों के साथ भी संभव है, जो तकरीबन अनपढ़ के बराबर हैं और गाँवों जैसी जगहों पर रहते हैं? और छोटा-मोटा कोई काम कर अपनी ज़िंदगी जैसे-तैसे धका रहे हों? या घर के बाकी सदस्यों पर निर्भर हों?
Artificial Intelligence ऐसी-ऐसी जगहों पर भी क्या Role अदा कर रहा है? जानने की कोशिश करें, अपने ताऊ-ताई या दादी-दादों से? या सीधी-सी भाषा में अगर बोलें तो, Social tales of social engineering से?
Wednesday, December 11, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 8
बता तैने तै, लोग अर लुगाई भी पच्चाण ना आए?
तैने बालक अर बुजुर्ग का फर्क भी ना बेरा के?
सबमें दीमक का डीमडु देख ग्या के तू?
ताऊ ईब तही कई गली और नाप ग्या। वो कितके दीमक के डीमडु पै रुकै था?
राज? आहें राज। कद (कैद) आगी बेटी तू? और घर पै सब राजी खुशी सैं बेटी?
थोड़ा और आगे चलकर
राजेश सै के तू भाई? जेल तै छुट्टी मिलैगी रै तैने?
थोड़ा और आगे चलके
आहें बिजली, अजहर ठीक सै बेटी?
थोड़ा और आगे चलके
आहें जया, बेटी घर कुनबा राजी?
थोड़ा और आगे चलके
यो टोनी सै के? बेटा आजकल कित रहया करै?
थोड़ा और आगे चलके
रै इस मोदी गेल कित चाल्या जा सै भाई? यो तै आज घणी पी रहा लागै सै।
थोड़ा और आगे चलके
आहें बेटी हेमा, धरमा ठीक सै?
यो ताऊ तो दिखना ए बंद हो गया? धुंध घणी सै भाई आज तै? ताऊ फेर दिखा, तै आगे की खबर चालैगी?
तब तक आप सोचो, यो ताऊ कौन सै?
फेर दिखा तै मतलब? ये ताऊ तो किसी न किसी रुप में हर रोज हमारे आसपास ही तो नहीं रहता?
फिर क्या धुंध, क्या बारिश और क्या धुप?
Tuesday, December 10, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 7
ZARA?
RAZA?
RAJA?
RA JAA?
RAW JAA?
RAW INTEL?
RAW INTELLIGENCE?
AGENCY?
RAW INTELLIGENCE AGENCY?
ऐसे ही FBI, MOSSAD या कोई और फसाद भी? शायद ऐसे?
FBI?
F BI?
I F B?
IBI?
CBI?
SBI?
S BI?
SB I?
S? B? I?
AB?
BA?
CA?
DA?
ABC?
BBC?
AA?
BB?
CC?
DD?
EE?
FF?
GG?
HH?
II?
JJ?
समझ आया कुछ? मुझे भी नहीं आया। ऐसे-ऐसे तो और भी कितने ही तिकड़म और जुगाड़ हो सकते हैं। जो समझ आया वो ये की सर्विलांस एब्यूज के नाम पर, हमारे यहाँ का आम आदमी आज तक भी निक्कर-पजामे से आगे नहीं निकल पा रहा?
और वो भेझे उधेड़ रहे हैं? दिमागों को खोल और सील रहे हैं, गुप्त रुप से। मतलब, मानव रॉबोट घड़ रहे हैं।
Monday, December 9, 2024
मंदिर अहम है ना मस्जिद अहम है
मंदिर अहम है ना मस्जिद अहम है
जहाँ मन को शांती मिले वो जगह अहम है
गुरु द्वारे अहम हैं, ना गिरजे अहम हैं
जहाँ भूखे की भूख मिटे,
ठिठुरते को कपड़े मिलें
ताप में जलते को ठंडक
बेघर को छत मिले
क्रूरों के बीच दयालु
बेगानों से घिरे को अपनापन, ऐसी जगह अहम है।
ना भिखारी बनाने वाले अड्डे अहम हैं
ना अज्ञानता का पाठ पढ़ाने वाले
ना पीट-पीट कर रुंगा-सा दान करने वाले
ना बंधक बना, रोजगार का नाटक करने वाले
ना सीधे से दिखने वाले पेपरों पर हस्ताक्षर करवा
या कोरे पन्नो पर येन-केन-प्रकारेण हस्ताक्षर ले
कोढों की जाल नगरी में उलझाने वाले
सभ्य समाज में भला इनकी जगह?
कहाँ और कैसे? क्यों और किसके लिए है?
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 6
चमेली के फूल खिले थे
और रामकली आ गई?
भँवरे ने खिलाया फूल और फूल को?
भोली के, भोले न, भोला (SHIV) घड़ा?
और कौरदे के बलदेव के यहाँ कांड हुए?
कमेरी ने विप ? वीप ? बिप ? VIP तैयार किया?
और कामना के यहाँ काली ने जैसे IP घड़ा?
बोतड़ू के बटोड़े?
और जिधर भी देखो, गोसे ए गोसे?
जुकर, गादड़ी के शेर?
कार सेवकों ने R SD बिछाई, जैसे RDX कोई? या?
और उसपे मानो JK सीमेंट की चादर चढ़ाई? यूँ लगा जैसे कोई मजार जार-जार होकर ----
और उधर से जैसे जारा का उदय हुआ? अंग्रेजां के जिस अक्सर पर सारे अक्सर खत्म हो जाएँ, उसे Z कहते हैं? और Z से रिवर्स गियर लगा दें तो ZA? R और लगा कर A को उसके पीछे करदें तो RA? और इनको मिला दें तो? ZARA? जारा हिन्दू है, की मुस्लिम? ईसाई है, की सिख? या सब राजनीतिक पार्टियों का खिचड़ीनुमा हथियार हैं ऐसे-ऐसे कोढ़? जिसे जैसे भी सूट करे, वैसे ही घुमा देती हैं इन कोढों को, ये राजनीतिक पार्टियाँ और बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ मिलजुलकर? आप उलझे रहो ABCD तक?
लेवल जीरो? कहाँ से?
और गँगा उल्टी बहने लगी?
फौजी के कार सेवकों के एरिया से समंदर की तरफ?
या रामगढ़ की तरफ? या राम नगर तरफ? या मोदी के पहाड़ की तरफ?
और पास का मंदिर सुबह-सुबह गाने लगा, "मैं गँगा माँ हूँ। ना मानो तो बहता पानी?"
पानी उल्टा कब बहता है? माँ?
बोलो VANDE MATRAM?
वन (वास) दे, मात-राम?
वाल्व टाइट? या लूज़? या बंद? कहाँ का? किसका? किसी आदमी का? मशीन का? किसी घर या ऑफिस का? और कौन-से हिस्से का? ABCD से आगे सिर्फ एक शब्द को जानने से सब नहीं समझ आना। कोढों के इस जाल के ABCD और छोटे-छोटे पानी की बूँद से शब्दों से आगे बहुत बड़ा महासागर है।
14 स्पैशल ज़ोन बाहर धर रे सो बेबे?
डिज़ाइन स्पेशल? कहाँ का? किसके घर या ऑफिस का?
अंदर का या बाहर का? ये जाल किसी के घर के अंदर हो सकता है और किसी के घर के बाहर?
देखो अपने अपने घरों के डिज़ाइन?
राज मिस्त्री की घड़ाई? या राज मिस्त्री की, की हुई घड़ाई? दोनों में बहुत फर्क है।
सिस्टम बंद? या चालू है? किसकी या किनकी मशीन का? आदमी का? या मौहल्ले का? या गाँव, शहर या राज्य या देश का? चालू है? चलता है? या ठीक-ठाक है?
तो कोढ़ की ABCD से आगे भी बहुत कुछ है। जो सीधा नहीं, जलेबी जितना-सा टेड़ा नहीं, बल्की, अलगोज़ (Algorthims) जितना उलझ-पुलझ? या टेढ़ा-मेढ़ा और महीन धागे के उलझने या उलझाने के जैसा-सा? सुलझ या सुलभ है?
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 5
गुमड़ियाँ की डॉक्टर भी कोना तू तै।
घणी बै बता ली तेरे तै, म्हारे उड़ै मत आया कर। मार दयाँगें ना तै।
MBBS मुन्ना भाई बड़बड़ा रहा हो जैसे, पीने के बाद?
ताऊ ईब तही कई गली और नाप ग्या। वो कितके दीमक के डीमडु पै रुकै था।
D MDU? ना, दीमक का डीमडूं। अर हरिणवी मैं अंग्रेज पाकणा हो तै? डीमडु।
राज? आहें राज। कद आगी बेटी तू? अर घर पै सब राजी खुशी सैं बेटी?
राज? आहें राज। कैद आगी बेटी तू?
प्रमोद हर कै अमरुद (Guava) कै अमरुद ना लागया करैं।
ये तो आपके घर के पीछे वाले घर (H # 30, Type-4) के पीछे वाले लॉन का विषय है जैसे? और यहाँ? किसके घर के Le ft या Rig ht का? एक छोटा-सा पौधा भी कितना कुछ कह रहा हो जैसे? अगर समझने की कोशिश की जाए तो? वहाँ के guava को क्या दिक्कत थी? Can cer सा कुछ होने लगा था? या शायद दीमक लग गया था? डीमडूं को या डीमडु को? यहाँ पे Cancer कहाँ-कहाँ और किसे-किसे और कब-कब लगा?
इसपे अमरुद कौन नहीं लगने देगा? यहाँ का राजनीतिक सिस्टम (Political System)? मगर क्यों?
लगने देगा या नहीं? हमेशा औकात का सवाल होता है? आप समझदार हैं, साधन-सम्पन हैं, तो औकात बढ़ जाती है। नहीं तो? हर छोटी मच्छली को बड़ी मच्छली या मच्छला खाता है? सभ्य समाजों में भी?
न्यारी ताई नै घड़ा तिवारी
और प्रोमिला के यहाँ किसकी सवारी?
मोलू नाई नै गब्दू कुम्हार का हौका ठोका?
और ये हुआ झमेला?
नाई आली पै ले ले ज़मीन। ना उड़ै गाम तै बाहर गढ्ढा मैं ले ले बे। यो रेडियो स्टेशन के पास का तिकोना बिकाऊ सै।
घणी पीसे आली हो री सै। छीन लो सब। करो राम नाम सत। माँ-बेटी, माँ-बेटी, माँ-बेटी को रोने वाले कौन प्रधान हैं ये? कैसे-कैसे लोगों के पास रहता है ये? ऐसे लोगों के पास, जो इसकी ज़मीन हड़पें। भाई की बीवी? और बहन के पैसों पे कुंडली और आगे के रस्तों पे रोड़े? और माँ का खँडहर तक गिराने के इरादे रखें? और लड़की को घर से बाहर करने के इरादे वाले लोग? अपने हैं ऐसे-ऐसे लोग? या दुश्मन?
इनमें और ऐसे-ऐसे और कितने ही narratives को सैट करने वाले कौन हैं? फ फ फ फ फ फूट डालो राज करो राजनीती? ऐसा सिस्टम? ऐसा माहौल?
इस सबमें जितना कार सेवकों या मंदिर-मस्जिद की राजनीती को समझना अहम है। उससे भी ज्यादा अहम है की भड़काने वाले कौन हैं और भड़कने वाले कौन? और भुगतने वाले कौन? सबसे बड़ी बात, ये मंदिर-मस्जिद की राजनीती कोई एक राजनीतिक पार्टी कर रही है? या सभी? मंदिर, मस्जिद या गुरु द्वारे? गिरजे वाले भी?
भड़काने वाले, गुप्त तरीकों से, ज्यादातर या शायद हमेशा ही साधन सम्पन मिलेंगे? कुर्सियों की दौड़ वाले मिलेंगे? ज़मीन-जायदादों और ज्यादा से ज्यादा संसाधनों पर कब्जे वाले मिलेंगे? और भड़कने वाले? ज्यादातर, कम पढ़े-लिखे, बेरोजगार और वंचित वर्ग शायद?
टाटा, बिरला, रिलायंस जैसे? बड़े-बड़े संस्थानों के मालिक जैसे? जैसे बड़े-बड़े मीडिया घराने? जो narratives को ईधर या उधर सैट करने में मदद करते हैं?
ऊप्पर दिए गए सभी उदाहरण कहीं सर्विलांस एब्यूज के साइड-इफेक्ट्स तो नहीं? उन बड़े लोगों या राजनीतिक पार्टियों द्वारा, जो आप सबको कंट्रोल कर रहे हैं? आपको भला कैसे पता लगेगा? आपको तो शायद सर्विलांस एब्यूज क्या होता है, यही नहीं पता था? और किस हद तक होता है, ये अभी तक भी नहीं मालूम। पढ़ते रहिए, शायद आगे-आगे समझ आ जाए की आप कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे, किन-किन बड़े लोगों की गोटियाँ बने हैं? या अभी भी बन रहे हैं?
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 4
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? फेंकम फेंक?
छिपाने को क्या है ऐसा? लोग इतना क्यों सर्विलांस एब्यूज, सर्विलांस एब्यूज कर रहे हैं? ये शब्द उन दिनों होते थे जब सर्विलांस एब्यूज का abc तक नहीं पता था। बस इतना पता था की फोन सुन लेते होंगे। यहाँ-वहाँ चोरी छुपे कैमरे लगाकर अपने मानसिक दिवालियेपन के पोर्नोग्राफी के भूत को शाँत कर लेते होंगे। इससे ज्यादा क्या?
2012-2013 जब पहली बार अहसास हुआ, लोग दूर बैठे आपको आत्महत्या के लिए उकसा सकते हैं। आपके यूट्यूब या सर्च इंजन पर बहुत कुछ उल्टा-पुल्टा दिखाकर, समझाकर। और बाहर लोगों को समझ ही नहीं आएगा की हुआ क्या होगा? और बड़े लोग किसी खास तरह की संस्कृति के लोगों को करैक्टर के हेरफेर में उलझा कर, सबकुछ मरने वाले पे ही लपेट देंगे। ये वो दिन थे, जब पहली बार आप कहीं ये पढ़ रहे थे की आज आपने किस रंग के अंदरुनी कपड़े पहने हैं या आपके शरीर पर कहाँ तिल है या कोई और निशान है। और ये सब तकरीबन हर रोज यहाँ-वहाँ पढ़ने को मिल रहा था। खतरनाक दुनियाँ और समझ से परे भी जैसे?
एक दिन ऐसे ही एक ऑन्टी आए हुए थे घर पर मिलने और उन्होंने कहा बाथरुम कहाँ है? मुझे बाथरुम जाना है। और आप सोचें अब इन्हें क्या कह कर टाला जाए, की ये घर इस लायक नहीं है। मैं नरक में रह रही हूँ। ये H #16 वाले दिनों की बातें हैं, जब शुरु-शुरु में मुझे ये सब पता लगना शुरु हुआ था।
मैंने ऑन्टी को बोला, ऑन्टी अगर बहुत जरुरी ना हो तो घर जाके चले जाना बाथरुम। ये घर इस लायक नहीं है। नहीं तो आसपास कहीं ले चलती हूँ। और उन्होंने छूटते ही कहा, जब बेटी इसे घर मैं रह सैके सै तो मेरा बूढ़ी औरत का के उखाड़ेंगे ऊत? उनके घराहाँ बाहन-बेटी कोणी? अक उनके किमै और लाग रहा सै, जो महारे तै अलग सै। कमीण पैदा भी एक औरत न ए कर राखे होंगे, अक लोग न कर राखे हैं? और ये कहते-कहते ऑन्टी ने खुद ही बाथरुम ढूँढ लिया था।
धीरे-धीरे ये भी समझ आया की पुलिस और डिफ़ेन्स तक इस सबके बारे में जानते थे। सिर्फ जानते थे? या? और वो कर क्या रहे थे? या क्यों कुछ नहीं कर रहे थे, ये समझ से परे था। सर्विलांस एब्यूज की जानकारी का वो पहला एक्सपिरिएंस था। और सर्विलांस एब्यूज जैसे मेरा सबसे ज्यादा अहम विषय हो गया था। जहाँ, जिधर जितना पढ़ने, सुनने समझने को मिला, मैंने पढ़ा।
सर्विलांस एब्यूज के खतरे और बड़ी-बड़ी कंपनियों को उसका फायदा या राजनीतिक पार्टियों को कैसे उसका लाभ मिलता है? ये सबसे पहली समझ थी, जो शुरु-शुरु के सालों में समझ आया। धीरे-धीरे, जैसे-जैसे समझ बढ़ती गई, उससे सर्विलांस एब्यूज और दुनियाँ पे कंट्रोल करने का साधन, जैसा विषय भी समझ आने लगा। ये सिर्फ मानसिक दिवालिएपन वाले लोगों की पोर्नोग्राफी तक सिमित नहीं है। वो तो जैसे बिगड़े हुए टीनेजर्स का टाइम पास टाइप मात्र है, जो न सिर्फ अपना वक्त और ज़िंदगी बर्बाद करते हैं, बल्की जिनको वो अपना टारगेट बनाते हैं, उनकी भी। उससे भी बड़ा सर्विलांस एब्यूज का खतरा वो है, जिसे पूरा समाज झेल रहा है। दिमागों और लोगों की ज़िंदगियों पर कंट्रोल। आज के वक़्त सर्विलांस एब्यूज जैसे विषयों से बच्चों को भी अवगत कराना चाहिए, ताकि वो इसके दुस्प्रभावों से बच सकें। क्यूँकि, ज्यादातर घरों में बच्चे जैसे पैदा होते ही मोबाइल उठा लेते हैं। और जल्दी ही उसका प्रयोग भी करने लगते हैं। मगर उन्हें नहीं पता होता की जो कुछ वो देख या सुन रहे हैं, वो उनके लिए कितना सही या गलत है। हकीकत तो ये है की ये ज्यादातर बड़ों तक को नहीं पता होता, खासकर भारत जैसे देशों में। इस जानकारी के अभाव में आपको अपने आसपास ही कितने शिकार मिल जाएँगे। मगर उन्हें अंदाजा तक नहीं होगा की कुछ घटनाएँ उनकी ज़िंदगी में इस फोन या टीवी या इंटरनेट की देन हैं।
दिमाग कंट्रोल, कोई जादू नहीं है की आप किसी को कुछ देर देखँगे और हो गया सम्मोहन के जैसे। इसके पीछे विज्ञान है। जितनी ज्यादा किसी के बारे में जानकारी, उतना ही ज्यादा गुप्त तरीकों से कंट्रोल आसान। जानकारी इक्कठ्ठा करने के तरीके भी गुप्त और उसका अपने फायदे के लिए दुरुपयोग भी गुप्त। इसका थोड़ा बहुत अंदाज़ा म्हारे बावली बूचाँ के कारनामों से मिल सकता है।
Saturday, December 7, 2024
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 3
बहरुबियों का जाल
रावण भेष बदलता था और छल-कपट करता था? रावण विद्वान था? या बहरुबिया था? या विद्वान और बहरुबिया दोनों?
महाभारत, रामायण या कोई भी युद्ध पढ़ लो, बहरुबियों से भरा मिलेगा। छल-कपट, भेष-बदलना, कुछ का कुछ बताना, दिखाना या समझाना। फिर राजनीती इसका अपवाद कैसे हो सकती है? राजनीती बहरुबियों का जाल है। एक ऐसा जाल, जो ना किसी रिश्ते को बक्सता है और ना ही किसी उम्र को। फिर क्या बच्चा और क्या बुजुर्ग?
क्या हो अगर, आम लोगों की ज़िंदगी बहरुबियों-सी बदलने लगे? या बदल रही हो? अपने आप नहीं, बल्की बदली जा रही हो, जबरदस्ती जैसे?
आओ एक हरियान्वी ताऊ से मिलते हैं।
रीना? रीना?
थोड़ा आगे जाकर
मीना? मीना?
थोड़ा और आगे जाकर
शीना? शीना?
थोड़ा और आगे जाकर
भूतनी रुकती क्यों ना, सड़तोड़ भाज री?
थोड़ा और आगे जाकर, कदम तेज-तेज उसकी तरफ बढ़ाते हुए
सर्वजीत? सर्वजीत? रुक। अरै खागड़ रुक जा।
थोड़ा और आगे जाकर
भगते? ओ भगते? कित जा सै भाई भाजा?
कुछ घर और नापते हुए
बंटी रै। ओ बंटी ?
कुछ घर और नापने के बाद
सुमित्रा बेबे कित जा सै तू?
कुछ घर और नापने के बाद
ओ लीलू के, सुणता कौणी तनै?
कुछ घर और नापने के बाद
बर्थे की पौती सै बेटी तू?
कुछ घर और नापने के बाद
अमिता बेटी, यो बालक छोरा सै, अक छोरी?
कुछ घर और नापने के बाद
आँह रै भाई दीमक के? बेटा के नाम सै तेरा?
डीमडु सै ताऊ
अच्छा भाई, मैंने तै लाग्या, गूँगा सै तू। पूरा गाम नाप लिया, तरै पाछै-पाछै, पूछते-पूछते। पर सड़तोड़ भाज्या जा सै मैरा-बैटा।
ताऊ, बेरा ना तू किकै पाछै लाग रा था। मैं तै घर तै ईब लकड़ा सूँ।
नू क्यूकर बेटा? मैंने तै तैरे पाछै-पाछै, घनी नहीं तो 8-10 गली तै नाप ए ली।
मैंने तै कदे तू रीना, कैदे मीना, कैदे शीना, कैदे सर्वजीत, कैदे भगते, कैदे बंटी, कैदे सुमित्रा, कैदे लीलू का, कैदे बर्थे की पोती, कैदे अमिता, अर ईब दीमक का दिखा बेटे। न्यूँ क्यूकर हो सकै सै? तू बहरुबिया सै के? इतने रुप क्यूकर बदल ग्या, इतने से वक़्त में?
ताऊ धोखा लाग ग्या लागै सै तेरै। ये सारे आदमी तै तेरे घर तै, अर मेरे घर कै बीच के रस्ते के बता दिए तैने। न्यू तै जितनी आग्य चाले जागा, अर जितने तैने नामां के आदमी बेरा होंगे, तू उन सबनै एक बता देगा। बता तैने तै, लोग अर लुगाई भी पच्चाण ना आए? तैने बालक अर बुजुर्ग का फर्क भी ना बेरा के? सबमें दीमक का डीमडु देख ग्या के तू?
ताऊ ईब तही कई गली और नाप ग्या। वो कितके दीमक के डीमडु पै रुकै था।
राज? आहें राज। कद आगी बेटी तू? और घर पै सब राजी खुशी सैं बेटी?
थोड़ा और आगे चलकर
राजेश सै के तू भाई? जेल तै छुट्टी मिलैगी रै तैने?
थोड़ा और आगे चलके
आहें बिजली, अजहर ठीक सै बेटी?
थोड़ा और आगे चलके
आहें जया, बेटी घर कुनबा राजी?
थोड़ा और आगे चलके
यो टोनी सै के? बेटा आजकल कित रहया करै?
थोड़ा और आगे चलके
रै इस मोदी गेल कित चाल्या जा सै भाई? यो तै आज घणी पी रहा लागै सै।
थोड़ा और आगे चलके
आहें बेटी हेमा, धरमा ठीक सै?
यो ताऊ तो दिखना ए बंद हो गया। धुंध घणी सै भाई आज तै। ताऊ फेर दिखा, तै आगे की खबर चालैगी।
तब तक आप सोचो, यो ताऊ कौन सै?
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 2
महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? फेंकम फेंक?
पुराणे जमाने के कूड़ा कलेक्टर अर नए जमाने के मुस्सा कलेक्टर?
ये फेंकम फेंक पे इतने सारे चुटकले क्यों होते हैं? शायद लोगबाग फेंकते ही इतना होंगे? या कोई हकीकत भी हो सकती है, ऐसी फेंकम फेंक के आसपास?
एक अंडी: महारअ ते BMW का ट्रक आया करे, कूड़ा लेन।
दूसरा अंडी: महारअ ते ट्रैक्टर आया करे, कूड़ा लेन।
तीसरा अंडी: अच्छा र ! बड़े आदमी लागे भाई थाम ते? महारअ ते मुस्सा कलेक्टर आया करे, कूड़ा लेन।
दोनों तीसरे का मजाक उड़ाते हुए, मुस्सा कलेक्टर? भाई यो मोसे (uncle) ने कहा करें या मुसशयाँ (rats) ने कहा करेऎं?
ना बेरा पाटआ ना? सुणआ सै, यो जिसका बेरा भी ना पाटअ, अर कूड़ा भी ना उठे, पर कूड़ा लेण फेर भी रोज आवें, वो भी दिन-रात, उन न कहा करें?
अर सिर्फ मुस्सा कलेक्टर अ नहीं और भी हैं महारे आड़े इसे-इसे नरे, जो कूड़ा लेन आया करें। जुकर, आँख, नाक, अर काना का मैल कलेक्टर।
ले भाई, तेरे जितनी फ़ेंकनीया ना पावे किते।
हाँ। ईबे तै और भी लाम्बी ए लिस्ट है इन कलेक्टरां की। जै इबतही भी समझ ना आया तै आगे आज्या गा।
मल-मूत्र कलेक्टर, आवाज-बातचीत कलेक्टर, धड़कन, स्पंदन गति कलेक्टर, तापमान कलेक्टर, नक्शा कलेक्टर, अक्सरे कलेक्टर।
चाल्यां रै? यो तो साच मैं घणी लाम्बी-लाम्बी फेंकन लाग्या। इन्ह ईबे नूय ना बेरा, अक महारे कलेक्टर ते कूड़े तै भी पिसे कमावें। अर कूड़े का धन बणावें। कितै यो खाद (manure), अर कितै वो खाद (vermi compost), अर कितै बेरा ए ना के के।
हाँ न्यू लाग्या, यो धनाबाद थारे कूड़े के ढेरां न ए बसा राख्ये सैं? इन्ह तै सीख क गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जिसे-जिसे मूसा कलेक्टर, मल-मूत्र कलेक्टर, आँख, कान अर नाक के कॉलेक्टर, खाल के छोटे से छोटे लाखों छिद्रोँ के भिन-भिन तरह के कलेक्टर, भूताँ की तरयां, मोबाइल अर बिजली मैं घुस-घुस कै कूड़ा कठ्ठा करें सै। अर महारे बावली बुचाँ के दिमाग का कब कौन-सा हिस्सा चालता रखणा सै, अर कब कौन-सा हिस्सा सुलाणा सै, या जड़ तै खत्म करना है, इसे-इसे स्विच बणा-बणा, सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकानों या जमीनों को ही नहीं, बल्की, आदमियाँ नै भी या तै खा ज्या सैं या अपणे नाम लिख-लिख राज करेँ सैं।
यो के फैंक ग्या भई, हांसी आई के तैने?
हैं न बावली बूच? मदीना मैं बैठ क जो नू कह, हांसी आई? मदीना क अर हांसी क बीच, महम ना आवै?
कुछ भी फेँकम फेंक :) महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे?
खास उनके लिए जिन्हें लगा ये क्या रौंदू-भोंदू फेंकण लागी या।
Sunday, December 1, 2024
Enforced Murder?
कोई भूख से कैसे मर सकता है? अगर हट्टा-कट्टा और स्वस्थ है तो? हाँ शायद, न्यूट्रिशन की कमी से जरुर मर सकता है? मगर थोड़ी-सी भी न्यूट्रिशन की जानकारी हो तो शायद नहीं? शायद?
लोग बिमारियों से मरते होंगे? शायद जबरदस्ती जैसे थोंपी हुई बिमारियों से? या मार-पिटाई से? या उससे उपजे दर्द या तकलीफों से? खासकर अगर वक़्त पर ईलाज न हो तो? शायद?
और कितने तरीकों से मर सकते हैं लोग? या शायद मारे जा सकते हैं?
गुप्त तरीकों से मार कर, आत्महत्या दिखाई जा सकती है? जैसे पीछे 70% केस, पहले से बताकर किया गया? मगर हकीकत में करने वालों ने (राजनीतिक पार्टियाँ) उसका माहौल कैसे इज़ाद किया होगा? आम आदमी को कैसे समझ आएगा ये सब? क्यूँकि, जो यहाँ दिखता है, वो होता नहीं और जो होता है, वो दिखता नहीं?
जैसे कोरोना के दौरान कितने ही लोगों को आदमखोरों ने मौत के घाट उतार दिया? वो भी दुनियाँ भर में। वो दिखा क्या?
चलो, आपको एक और मौत दिखाते हैं। उसकी मौत, जिसको आप यहाँ पढ़ते आ रहे हैं? वो मौत आत्महत्या होगी? या खून? इन्हीं खुँखारों द्वारा, जो इधर-उधर से लोगों को किसी ना किसी बहाने उठा रहे हैं। मगर वहाँ आपको क्या दिख रहा है? यहाँ देखने की कोशिश कीजिए। शायद कुछ समझ आए।
विजय 4 बीजेपी?
जय कांग्रेस? विजय कांग्रेस?
आम आदमी की विजय?
जय JJP? विजय JJP?
और भी कुछ लिख सकते हैं? विजय या जीत तो हर किसी को चाहिए। ऐसे या वैसे, जैसे भी चाहिए। उसके लिए चाहे आदमियों को खाना पड़े? कुछ भी, कैसे भी, जैसे भी जोड़ना, तोड़ना या मड़ोड़ना पड़े? इन सब पार्टियों के जीत हासिल करने के अपने-अपने खास तरह के नंबर हैं या कहो की कोढ़ हैं, abcd हैं। सब पार्टियाँ उसी के लिए माहौल बनाने की कोशिश करती हैं। जी, माहौल बनाने की कोशिश करती हैं। वो माहौल अगर आदमियों को खाकर भी बने, तो इन्हें परहेज नहीं। उसी माहौल बनाने में वो घरों के, ऑफिसों के माहौल बिगाड़ देते हैं, अपने-अपने अनुसार।
जैसे अगर किसी को, किसी यूनिवर्सिटी ने पढ़ाने के लिए रखा है, टीचर की पोस्ट पर। तो वे उसे पढ़ाने के इलावा और ढेरों तरह की अनाप-शनाप फाइलें पकड़ा सकते हैं। अगर वो उनके अनुसार काम ना करे तो तरीके हैं, उसे यूनिवर्सिटी से उखाड़ फेंकने के।
ये विजय 4 बीजेपी, वाली पार्टी का 75 वाले अमृतकाल का हिस्सा हो सकता है। जहाँ B को घर बैठे जैसे, B (ED) के लिए 75000 का दान चाहिए? घर बैठे अहम है यहाँ। कुछ-कुछ ऐसे, जैसे रजिस्ट्रार बोले, मैडम आपके पैसे मिलने में 5-7 दिन लगेंगे? उस मैडम को यूनिवर्सिटी से खदेड़ने के बाद। और वो 5-7 दिन मौत से पहले नहीं आते? मौत के बाद, सब किसी B का है, क्यूँकि ED उस आदमी को खा जाएगी।
ये जय कांग्रेस? विजय कांग्रेस? इनका कोई 1, 3, 4 का हिसाब-किताब है शायद? इनके अनुसार आप अब भारत में काम नहीं कर सकते? कितने लाचार हैं? ये पीछे बारिश वाली नौटँकी इन्हीं की थी क्या? आप रजिस्ट्रार ऑफिस के वेटिंग रुम बैठे हैं और बारिश के साथ-साथ कोई ड्रामा चलता है। ऐसी-ऐसी नौटंकियाँ, देखने और झेलने के बावजूद, आप जाना चाहेंगे ऐसे-ऐसे ऑफिस?
आम आदमी की विजय, के नंबरों के हिसाब-किताब से तो? आप बसों में मार्शल लग सकते हो या सफाई कर्मचारी शायद?
जय JJP? विजय JJP? इनके नंबरों के हिसाब-किताब से आप नौकरी ही नहीं कर सकते, भारत में? हाँ, कोई अपना काम कर सकते हो, वो भी गाँवों में?
ऐसे ही और पार्टियों के हिसाब-किताब होंगे?
तो माहौल कहाँ तक पहुँचा बनते-बनते? या इन राजनीतिक पार्टियों द्वारा बनाते-बनाते?
EC वाली स्टेज आपको पार करवाई जा चुकी है, 2021 में। ED तैयार बैठी है निगलने के लिए? अभी तक यूनिवर्सिटी द्वारा पैसे ना देने का बस इतना-सा खेल है? आप कोई और नौकरी भी नहीं कर सकते, ऑनलाइन भी नहीं। वहाँ के माहौल पर भी टाइट कंट्रोल है। वहाँ पे भी खास तरह के ड्रामे हैं।
अपना कुछ आप शुरु ना कर सकें, स्कूल के साथ वाली ज़मीन पर कब्जे की और यूनिवर्सिटी वाली सेविंग पर कुंडली मारने की कहानी यही है। उसके लिए क्या कुछ माहौल बनाए इन पार्टियों ने? भाभी को खा गए।
रायगढ़ धँधा? इंस्टेंट क्लिक लोन, YONO Fraud? जिसका मतलब था, इधर लोन खाते में और उधर नौकरी खत्म। और आपको लगा, आप पढ़ने-लिखने के लिए ले रहे हैं? हेरफेरियाँ, हेरफेरियोँ में माहिर लोगों की। चलो, ये तो छोटा-सा लोन था।
चलो वो सब भी आया गया हुआ। कम से कम बचा-खुचा पैसा तो मिले। ऐसे कैसे? अभी आखिरी कील नहीं ठोंकेंगे ताबूत में अपने जाहिलनामे की?
माहौल?
पानी के नाम पर पीने या प्रयोग करने लायक पानी नहीं है ।
खाने के नाम पर खाना नहीं है। चल रहा है, जैसे-तैसे।
बीमार हो जाओ तो, दवाई नहीं।
रहने को घर नहीं और पहनने को कपड़े नहीं। रह रहें हैं जैसे-तैसे। चल रहा है काम चीथड़ों में।
"महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे?" में कुछ-कुछ झलक मिल सकती है, इस सबकी की, की ये राजनीतिक पार्टियाँ माहौल कैसे घड़ती हैं?
तो कितना चलेगा कोई ऐसे माहौल में? बाहर अभी कहीं जाना नहीं। अब ED के वेश्यावर्ती के धंधे वाले जाल में नहीं फँसोगे, तो कोई न कोई रस्ता तो ढूँढेंगे ना ठिकाने लगाने का? तो घड़ दिया माहौल?
गर्मियों में बिजली, AC और गर्मी या कूलर में आग लगने का तमाशा चल रहा था। तो कुछ वक़्त पहले? धूंध और acidic air? बिमार करो और मारो। माहौल ऐसा घड़ दो, की छोटी से छोटी बीमारी ले निकले। जो होता है वो दिखता नहीं, और जो दिखता है वो होता नहीं?
नौकरी से खदेड़ने के बाद, यूनिवर्सिटी सेविंग का क्या किस्सा-कहानी चल रहा है? जाने?
तो Enforced Resignation के बाद Enforced Murder? और इसके लिए उन्हें आपके पास चलके नहीं आना पड़ता, ये सब वो दूर बैठे-बैठे ही कर देते हैं।
Saturday, November 30, 2024
What the hell is this eco nomy?
Wonder, if eco nomy and PAN card are also cooperative modelling to fit into bigger designs of political system? -- to fit the rich people? Not the poor ones?
जाने क्यों मुझे अपने PAN card को पढ़ कर ऐसे लगा? उसके नंबर ही जैसे सीधा-सीधा कंट्रोल कहीं और बता रहे हैं।
कहीं पढ़ा की राजनीतिक पार्टियाँ सिस्टम डिज़ाइन करती हैं। जिनमें अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग तरह के चैक पॉइंट हैं। पार्टियाँ इन चैक पॉइंट्स के जरिए, लोगों को कंट्रोल करती हैं। एक तरफ जहाँ मानव सँसाधन हैं। तो दूसरी तरफ IDs सबसे बड़ा कंट्रोल का तरीका हैं। कोढ़ के सिस्टम में ये IDs बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। भारत में आधार कार्ड और PAN card, IDs में सबसे महत्वपूर्ण हैं। उसके साथ आपकी जन्म की तारीख और नाम।
किसी भी महत्वपूर्ण ID में कम से कम एक शब्द या नंबर आपके अपने नाम का पहला शब्द या आपके जन्म का कोई खास नंबर जरुर होना चाहिए।
कैसे डिज़ाइन करती हैं ये महत्वपूर्ण ID देने वाली एजेंसीयाँ, इनके नंबर या कोड?
Friday, November 29, 2024
Time to get rid of aadhar
Time to get rid of aadhar. Aadhar is exploitation, without information, without consent, the worst way possible. This is dh of Hydra? Who needs it? And why? By this way common people become the subject of abuse by political parties, directly or indirectly.
The worse, even childrens are at risk of exploitation and possible abuses by birth. I wonder, for what purpose, it was invented? What was the intention behind this invention?
Thursday, November 28, 2024
महारे बावली बूच, अर घणे श्याणे? 1
बावली बूचाँ के अड्डे?
एंडी न्यूं कह सै, बावली बूच, जै बावली बूच बना दिए तै के होग्या? साले हैं ए इस जोगे।
ये साले तो जैसे यहाँ की मधूर जुबाँ का abcd है।
जब आपको ये ना समझ आए की ये पढ़े-लिखे और कढ़े आदमी, या पैसे वाले और दिमागों को अपने अधीन रखने वाले नेता-वेता, सेठ-वेठ, कैसे-कैसे, ऐसे-ऐसे आदमियों का दुनियाँ भर में शोषण कर रहे हैं? अगर शोषित होने वाले बावली बूचाँ के अड्डे? तो पढ़े-लिखे और कढ़े आदमी, या पैसे वाले और दिमागों को अपने अधीन रखने वाले? घणे श्याणा के अड्डे?
रोज-रोज के कारनामे या प्रवचन यहाँ वहाँ जैसे
आपके बहन या भाई को बुखार हो रखा है, गला खराब और खाँसी भी। उसने कहा, Honitus Syrup और Teblets लाने को। और आप मूँगफली गुड़ टिक्की उठा लाए?
ले ये खा ले। Honey-wonitus ना मिलती यहाँ।
मिलती है। ये कह की लाया नहीं या देने वाले ने दी नहीं।
अच्छा? तो खुद-ए ले आइए।
और आप सोचें, बावली बूच?
आपके बहन या भाई का कुछ सामान आया है, कहीं से। उसको रखने के लिए जगह चाहिए। आपके पास जगह है, मगर बहाने पे बहाने। तंग आकर उसने माँ से लड़झगड़ और अपने कुछ सामान का उलटफेर कर, माँ के खँडहर में ही जगह बना ली।
अगले दिन एंडी आवै चालया, मैंने जगह बना ली अपने वहाँ, सोफे के लिए। वो पड़ोसियों के यहाँ 2-साल से पड़ा सोफा और टेबल मैं कल ले जाऊँगा (20 11 2024 को)।
और आप सोचें, अब जब मैंने बैड की अलमारी और पुराने सोफे को टुकड़ों में बाँट दिया, कुछ इधर, कुछ उधर तब? आज किसने बता दिया इसे, की मैंने कुछ ईधर-उधर रखे सामान के लिए जगह बना ली? एक तै बढ़ कै एक बावली बूच? इस सामान के यहाँ आने का मतलब, ये सामान यहीं रहना था, तब भी और अब भी। ये भी पड़ गए चक्करों में, इन खास तारीखों के राजनितिक ड्रामों वालों के? इसको इन वालों ने पकड़ा हुआ हो जैसे और उसको उस राजनीतिक पार्टी ने?
पानी क्यों नहीं है यहाँ। पहले तो था। और कोई नहीं बातएगा, है, जब तक आप कहीं ऑनलाइन कुछ VALVE Closure टाइप या 10-15 के हेरफेर नहीं पढ़ लेते। उसके बाद, ड्रामे चलेंगे, खोल के दिखा। या नरेश 21- 11- 2024 को सुबह-सुबह खोल जाएगा?
अरे तुम (नरेश) तो खाती हो ना? ये दरवाजा क्यों नहीं ठीक कर देते? अब ये घर पुराना खंडहर है, तो पता नहीं यहाँ क्या-क्या खराब पड़ा है।
नरेश: उसके लिए श्याम को आऊँगा।
और श्याम कब की आई गई हुई।
आप सोचें, एक तै बढ़ कै एक बावली बूच?
बादाम का दूध पी ले बे।
बढ़िया सेहत बन रही है।
हाँ।
पी लो। थोड़ा-सा पी लो। मेरी ज़िंदगी ठीक हो जागी।
क्या?
ए बावली बूच सै यो तो, मत सुण घणी इसकी। बिमार पड़ा सै।
Almond Milk? कोड?
दादी जाने से पहले एक एंडी शब्द दे गई। कहीं भी कुछ ऐसा होता और वो बोलते, ए बावली बूच सै यो तो।
ऐसे-ऐसे कितने ही रोज-रोज के, ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे वाक्या होते ही रहते हैं यहाँ। तो सोचा क्यों ना बावली बूचाँ के अड्डे पै ए कुछ लिखना शुरू कर दूँ? ताकी इन्हें भी समझ आए की लोगबाग कम पढ़े-लिखे लोगों का कैसे-कैसे फद्दू बनाते हैं?
अब दूसरी तरह के भी हैं, जो आपको या आपके अपनों को जैसे लूटने पे लगे हुए हों? या आपकी पहचान धूमिल करने को? घणे श्याणे? और वो ये सब करवाते किससे हैं? बावली बुचां तैं?
तो ये सीरीज शुरू होती है, महारे बावली बूच, अर घणे श्याणे?
जैसे Fear and Folies वाले?