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Wednesday, September 11, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग? 38

देखने समझने में जो आया, वो ये, की कुछ-कुछ ऐसे ही अखाड़े, आसपास की बहुत-सी बिमारियों और मौतों तक का कारण बने, या कहो की जबरदस्ती जैसे, बना दिए गए।    

जबरदस्ती भला कैसे? 

दो अलग-अलग लोगों, परिवारों या परिवेशों या हालातों या परिस्थितियों को एक जैसा-सा दिखाकर। लोगों से उनकी पहचान (Identity) छीन कर। वो भी, अदृश्य ना होते हुए भी, गुप्त तरीकों से। छोटे-मोटे लालच, डर या मानसिक अत्याचार करके। कैसे भला?

आपको मोदी पसंद है?

ना 

क्यों?

कल पैदा हुआ बच्चा बोल रहा हो जैसे, मेरे से पहले कुछ था ही नहीं और ना ही आगे होगा। 

मतलब?

मतलब, 2014 से पहले भी दुनियाँ थी और है। या कहना चाहिए की 26 मई, 2014 से पहले भी दुनियाँ थी, है और रहेगी। वैसे ही जैसे 28 दिसंबर, 2013 से पहले या बाद में। ऐसे ही किसी भी नंबर के बारे में सच है। फिर वो मोदी हो या नेहरू। हूडा हो या चौटाला। केजरीवाल हो या कोई और। मगर, शातिर लोगों ने उसे आपसे जोड़कर, मानसिक अत्याचार जैसा शुरू कर दिया है। वो खुद उससे फायदा लेने, और आपका नुकसान करने या करवाने में लगे हुए हैं। राजनीती में किसी भी नंबर का महत्व, कुछ वक़्त के लिए और उस खास वक़्त में भी किसी खास जगह के लिए होता है। उसके बाद जरुरी नहीं हो। या उससे अलग जगह पर भी वैसा ही हो। 

जैसे मोदी तो 2014 से पहले भी था। मगर PM नहीं ,बल्की CM और उससे पहले भी था। मगर CM नहीं, कुछ और। राजनीती में किसी भी नंबर का महत्व हमेशा एक जैसा नहीं होता। ऐसे ही सबके लिए, उस नंबर का महत्व एक जैसा नहीं होता है। वैसे भी मोदी का जन्मदिन 2014 में या केजरीवाल का जन्मदिन 2013 में नहीं हुआ। वो किसी खास राजनीतिक कुर्सी के जन्मदिन के नंबर हैं। उसपे जिस तारीख या साल को वो CM या PM बने, आपका जन्मदिन भी जरुरी नहीं, उस दिन का हो। वो अगर CM या PM नहीं रहेंगे, तो भी आपके घर में आपकी जरुरत या अहमियत थोड़े ही खत्म हो जाएगी। मगर, राजनीतिक पार्टियाँ, ऐसे-ऐसे कुकर्मों में, घड़ाईयों में लगी हुई हैं। और बच्चों तक को बेवकूफ बना रही हैं। इसीलिए, वो किसी को किसी के घर से या नौकरी से या किसी जगह से कहीं और ही धकेलने लगते हैं। वो भी जबरदस्ती, खासकर उन्हें, जिन्हें ये सब समझ आने लगा हो।       

राजनीती के लिए कोई खास नंबर, कोई कुर्सी पाने का तरीका, मतलब गोटी भर हो सकता है। मगर, किसी परिवार के लिए, वो ना तो कोई कहा गया राजनेता या कुर्सी है और ना ही कोई गोटी। जिसे जब जहाँ चाहे, जैसे, राजनीतिक स्वार्थ के लिए गोटी-सा चल दिया जाए या चलता कर दिया जाए। कितने ही बच्चों और बुजर्गों तक के साथ ऐसा हो रहा है। वो भी उनकी जानकारी के बैगर। आम आदमी को राजनीतिक गोटियाँ बनने से बचना होगा। फिर वो कोई भी नंबर हो या कोड या जगह या समय। गोटी बनना खतरनाक है। आपके कुछ खास नंबर, आपके अपने हैं और हमेशा वही रहने हैं। राजनीती के तो बदलते रहते हैं। आपके अपने, आपके अपने हैं और हमेशा रहेंगे। मगर, राजनीती में तो माँ-बेटा तक या बहन-भाई या भाभी तक एक दूसरे के खिलाफ लड़ सकते हैं या होते हैं। कितने ही राजनीतिक घरानों को देख लो। वो आपके रिश्तों और ज़िंदगी का आदर्श नहीं हो सकते और ना ही होने चाहिएँ। नहीं तो जो उनके यहाँ मचा हुआ है, उससे कहीं खतरनाक आपके परिवार और आसपास होना शुरू हो जाएगा। उनके पास संसाधन, ज्ञान-विज्ञान और टेक्नोलॉजी सब है, बुरे प्रभावों से बचने के लिए। आपके पास इनमें से शायद कुछ भी नहीं? या बहुत कुछ नहीं है। उस स्तर के आसपास भी नहीं। 

जिस गोटी को वो आज लालच दिखाएंगे, कल जरुरत पड़ने पर खा भी जाएँगे। मतलब, बिमार कर देंगे या किसी भी तरह का नुकसान कर देंगे। या खत्म ही कर देंगे। आपके अपने ऐसा नहीं कर सकते। आसपास हुई मौतों की कहानियाँ या बीमारियाँ ऐसी-सी ही हैं। राजनीती ने उन्हें अपने हिसाब से गोटी-सा यहाँ-वहाँ चला। जहाँ जैसे चाहा, प्रयोग किया और जहाँ जैसे चाहा दुरुपयोग या खत्म ही कर दिया। क्यूँकि, उन नंबरों की अब उन्हें जरुरत ही खत्म हो गई। या वही लाभदायक नंबर या कोड, उनके लिए नुकसान का सौदा हो गए। तो चलते कर दिए। उसमें किसी का बाप, किसी की माँ, किसी की बहन, किसी का भाई, किसी का बच्चा, बुआ, चाचा, ताऊ,  दादा, दादी, नाना, नानी, मामा, मामी, और भी कितनी ही तरह के करीबी अपने थे। राजनीती और सर्विलांस एब्यूज सिर्फ मारता ही नहीं है बल्की आत्महत्याएँ भी करवाता है। वो भी अपने चाहे नंबरों पर? आदमी को राजनितिक गोटियाँ भर समझने वाले इतना सब खा गए। उनके अपनों को, उन लोगों की अब भी जरुरत थी या है। और दशकों रहनी थी। किसी अनाथ हुए बच्चे से या खाली-खाली से घर से पूछो। अपने आसपास नज़र दौड़ाओ। इस बेहूदा और क्रूर राजनीती को और इन राजनीती वालों को अपने घर ही नहीं, बल्की, आसपास तक मत फटकने दो। और आप इन्हीं के इशारों पर, एक दूसरे के ही खिलाफ लगे पड़े हैं?    

कोई बच्चा पूछे की उसके अपने को अब वापस कैसे ला सकते हैं?

तो राजनीती बताएगी ना। उसकी जगह और गोटियाँ रखके। ये, ये नंबर और ये, फलाना-धमकाना नंबर आ गया, राजनीती का घड़ा हुआ। कैसे? कोड थोड़ा जटिल विषय है। इसलिए अभी सिर्फ नाम से ही समझो। कौन नाम कहाँ गया, आपके आसपास से? उसकी जगह कौन-सा नाम कहीं और से उठकर आ गया? या इसका उल्टा भी शायद? रोशनी, रितु, पूजा, विराज, सिर्फ कुछ एक उदाहरण हैं। जटिल कोड को समझने की कोशिश करोगे तो आसपास की सब मौतें गिन लो। राजनीती, सिर्फ लोगों को मारती ही नहीं है या यहाँ या वहाँ ही नहीं धकेलती, बल्कि, एक-दूसरे से जैसे, बदलने का काम भी करती है। 

और भी बहुत कुछ है, इस कोड में। इन सबसे निपटने के हल भी इन्हीं कोड में हैं। कैसे? जानने की कोशिश करते हैं आगे, जितना मुझे समझ आया।                  

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