महम काँड से MDU काँड तक (Organized violence against a female faculty within campus residence)
कुछ लोग इनको दंडवत सलाम करते हैं?
और कुछ?
गुंडा कहकर इनके कारनामे बताते हैं?
क्या आज भी ज्यादातर नेताओं और राजनीतिक पार्टियों के यही हाल हैं?
जैसे की पहले भी लिखा, राजनीती, सिस्टम और गुप्त-गुप्त (Coded) संसार, और उसका प्रभाव जीवों पर, खासकर इंसानों पर, कैसे और क्यों पड़ता है? ये मेरे अध्ययन का विषय है। मेरी ना ही कभी राजनीती में कोई रुची रही और ना ही खास मीडिया में। राजनीती से नफरत की वजह मेरा अपना गाँव, जो हिंसक राजनीती का गढ़ रहा है कभी और उस दौर के नेता। वो फिर चाहे कांग्रेस हो या चौटाला। कांग्रेस को मैं हमेशा अपने गाँव के नेता आनंद दांगी से जोड़कर देखती हूँ। इस नेता के कारनामों का बचपन में जो असर मानसपटल पर पड़ा, वो कभी गया ही नहीं। मीडिया की भूमिका को थोड़ा पास से जाना, जब 2014 में सेक्रेटरी, मडूटा बनने का मौका मिला। इसी दौरान मीडिया से भी मुलाकात हुई। मतलब कोई भी खबर कैसे दिखानी है या बतानी है, वही आम लोगों की धारणा बनाता है। चाहे वो हकीकत के बिल्कुल विपरीत ही क्यों ना हो। ऐसे से ही कुछ एक बहुत ही छोटे-मोटे से कारनामे, उस छोटे से एक साल के सफर में भी रहे। वहीं से ये भी समझ आया की बड़े स्तर पर फिर मीडिया की क्या भूमिका होती होगी?
ज्यादातर नेताओँ के अगर आप इंटरव्यू देखेंगे, तो कुछ-कुछ ऐसे ही मिलेंगे।
जैसे ये
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