अन्याय की ABCD?
कितनी तरह की हो सकती हैं या होती हैं?
कौन-कौन से कारण उनके पीछे होते हैं? या हो सकते हैं?
जेलें सिर्फ वही होती हैं क्या जो आम आदमी सोचता है? या उससे बाहर अदृश्य भी कुछ जेलें हो सकती हैं? या होती हैं? जहाँ पढ़े-लिखे और उसपे कढ़े हुए लोग आम जनता को धकेलते हैं? वो भी उनकी जानकारी के बिना? उन्हें पता ही ना हो की तुम किसी की या किन्हीं की धकाई हुई जेल में रह रहे हो? खास तरह की सोशल इंजीनियरिंग करने वालों की?
ये क्या है, अभी इस यूनिवर्सिटी के किसी पेज पर और देखते ही देखते, दूसरे देश या महाद्वीप पर पहुँच गए?
ये ऑनलाइन मैजिक है। कोई टिकट थोड़े ही लगता है की कहीं जाना पड़ेगा? और उसके बाद ही कुछ सही से बता या कह पाओगे? मुझे या शायद आम आदमी को जो समझ आता है जेल के बारे में, वो ये, की जेलें तो सिर्फ वो होती हैं, जहाँ लोगबाग गुनाह करने के बाद, कोर्ट्स के निर्णयों के बाद रखे जाते हैं। मगर, इधर-उधर पढ़कर समझ आया, जेल सिर्फ वो नहीं होती। बहुत-सी illegal जेल भी होती हैं और उनके अजीबोगरीब ABCD (ग्रेडिंग जैसे)। और उनमें लोगों को पहुँचाने के खास तरीके भी हैं। वो तरीके दुनियाँ भर की पार्टियाँ प्रयोग करती हैं। और उनके असर जेलों से भी खतरनाक होते हैं। उनके परिणाम लोगबाग या तो अलग-थलग जीवन के रुप में भुगतते हैं या बिमारियों और मौतों तक के रुप में।
अजीब लग रहा है ना ये सब सुनकर? इस विषय पर और ज्यादा कुछ ना कहकर, मैं आपको कुछ एक प्रोजेक्ट्स की सैर करवाती हूँ। ये प्रोजेक्ट्स या तो किसी यूनिवर्सिटी में चल रहे हैं या ऐसे ही किसी और हायर एजुकेशन के संस्थानों में। अभी तक अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक ही देखे-पढ़े हैं। मगर, इनके दुष्परिणाम? अमेरिका यूरोप या ऑस्ट्रेलिया उतने नहीं भुगत रहे शायद, जितने एशिया और अफ्रीका? विकसित और अविकसित समाज के ताने-बाने का फर्क?
जैसे
अलग-अलग रंग की गोलियाँ, अलग-अलग तरह की यातनाओं की तरफ भी कोई ईसारा हो सकती हैं क्या?
आपको कोई सीरियल या मूवी ध्यान आ रहे होंगे शायद? क्या हो, अगर कहीं हकीकत में भी ऐसा होता हो? या कहना चाहिए की हो रहा हो? Pharma के रंग, यातनाओं के संग जैसे? बाजार, इंसान के लालच और लोगों के दुख-दर्दों का बहुत बड़ा कारण है? जहाँ-जहाँ इसने अपने पैर पसारे हैं और जितने ज्यादा पसारे हैं, वहाँ-वहाँ का उतना ही सत्यानाश हुआ है? वो चाहे रीति-रिवाज़ हों, आस्था या विस्वास या और कोई पवित्र बंधन? सिर्फ Pharmaceutical Industry ही नहीं, बल्कि खेती, कपड़ा, खाना, पानी, मकान या इमारतें और शिक्षा तक, जहाँ-जहाँ बाजार के जाल में हैं, वहाँ-वहाँ इसके दुष्परिणामों की बाहर है।
चलो, कुछ यहाँ-वहाँ के कोडेड-से और अनोखे-से प्रोजेक्ट्स पे एक निगाह डालते हैं। कोई दुनियाँ के इस कोने में चल रहा है तो कोई उस कोने में।
जैसे
Incel and mysogyny? ये पढ़कर आपके दिमाग में क्या आता है?
In Cel?
In Cell या In jail जैसा-सा कुछ?
C-grade जैसे? मगर इसका mysogyny से क्या लेना-देना? इस विषय पे भी कोई प्रोजेक्ट हो सकता है, वो भी किसी यूनिवर्सिटी में? किस तरह का प्रोजेक्ट होगा वो? और क्या देख, सुनकर या पढ़कर लिखा गया होगा? उस प्रोजेक्ट पे फिर कभी। अभी ये सब आपके सोचने के लिए छोड़ दिया।
सोचो, C-grade नौटंकी कहीं चल रही हो या सिर्फ फाइल्स-फाइल्स खेल या युद्ध? या कुर्सियों के हेरफेर? या सिर्फ लिखा भर जा रहा हो या ऐसा कुछ बताया या समझाया जा रहा हो? क्या वहाँ बारिश शुरु हो जाएगी? या कोई खास पानी सप्लाई? आपके यहाँ पानी तो नहीं आ रहा? वही जो 10-15 दिन में शायद मुश्किल से एकाध बार आता है? अब ये 10-15 भी अपने आपमें कोई कोड हो सकता है क्या?
ऐसे ही सोचो, D-grade, E-grade, F-grade, G-grade या कितनी ही प्रकार की अलग-अलग पार्टियों की ग्रेडिंग वाली नौटकियोँ में क्या कुछ होता होगा? इनके साथ कुछ और खास शब्द लग जाएँ तो? जैसे CA, CB, BA, DA, DC या कोमा की बजाय फूल स्टॉप या कोई और चिन्ह, कैपिटल लैटर या स्माल लेटर्स? जैसे A. B. C. etc.? कोड का जहाँ, इससे कहीं ज्यादा जटिल होता है। ये सिर्फ उसकी abcd हैं। मगर एक बार समझने लग जाओ तो बच्चों के खेल जैसा-सा ही।
Incel वाले प्रोजेक्ट की तरह ही, एक, दूसरे महाद्वीप के किसी और प्रॉजेक्ट पे निगाह गई और ठहर गई जैसे।
Marshall से आप क्या समझते हैं? ये पढ़कर आपके दिमाग में क्या आता है?
M ar shall? या कुछ और भी हो सकता है। इसका भी किसी तरह की कोडेड जेल से, कोई लेना-देना हो सकता है क्या?
चलो एक छोटा सा हिंट दूँ। अभी पीछे किसी पोस्ट में किसी Om की बात हुई। Om स्पीकर, पार्लियामेंट, इंडिया। इस कोड वाले Om का आपके भगवान वाले Om से कोई लेना-देना हो सकता है क्या? सोचो? क्या हो, अगर किन्हीं खुरापाती तत्वों ने दोनों को एक ही कह दिया हो? और आपने मान भी लिया हो? Marshall वाला Om राजनीतिक बाजार है। धंधा है। और आप वाला? श्रद्धा या आस्था? पढ़े-लिखे और उसपे कढ़े हुए लोगों ने कर दिया ना गुड़ का गोबर? और गोबर का गुड़ जैसे?
हमारे अंजान, अज्ञान लोगों की ज़िंदगियों, घरों, रिश्ते-नातों के साथ भी ऐसा ही कुछ मचाया हुआ है। जिसमें, ज्यादातर, जो आपको बताया, सुनाया, दिखाया, समझाया या आपसे करवाया जाता है, अक्सर उसका उल्टा-पुल्टा होता है।
और ये सब आपके आसपास की हर चीज़ बता रही है। ऐसे ही कोडेड फॉर्म में। इसीलिए इस कोड वाली राजनीती और सिस्टम को जानना बहुत जरुरी है। ये कुछ-कुछ ऐसा ही है, जैसे आपको सामने कोई कुँआ या खाई नज़र आ रही हो और आपको बताया जाए, ये तो महज़ पेंटिंग है। बढ़ो आगे। या आपके सामने जमीन पर कोई पेंटिंग बनी हो और आपको बोला जाए, की ये कुँआ या खाई है। और आप रस्ता बदल लें। जिन्होंने ये सब चालाकियाँ करते हुए इन महान कलाकारों को देखा या समझा, अगर वो कहें, ये अंजान लोगों की ज़िंदगियों से क्यों खेल रहे हो? उन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? वो तो तुम्हें जानते तक नहीं। तुम्हारा नाम, पता असलियत कुछ नहीं जानते वो। और जवाब मिले, अरे! खेल हमारे, मगर पसंद-नापसंद तो लोगों की अपनी थी या है। वो ऐसा पसंद करके ही ये सब कर रहे हैं।
कितना सच है इसमें? हकीकत में इसे क्या बोलते हैं? कंप्यूटर प्रोग्रामिंग? इंसानों को आपने कंप्यूटर या महज़ कोई मशीन मान लिया है? जिसमें आप अपनी चालें (चालाकियाँ) फिट कर रहे हैं और उनके सॉफ्टवेयर को बदल रहे हैं। वो भी उनकी जानकारी के बिना? तो परिणाम क्या होंगे? लोगों की ज़िंदगियों, घरों और उन समाजों का नाश, जहाँ-जहाँ आप ये सब खेल रहे हैं। कौन हैं आप घटिया लोग? आईना देखो, नज़र आ सके तो आपकी अपनी हकीकत? ज्यादा हो गया?
आम लोग जब इनके माँ-बेटा, बाप-बेटी, भाई-बहन, बुआ-भतीजा या भतीजी-चाचा, ताऊ जैसी in out को करने के तौर-तरीकों को जानेगें या समझगें, तो सोचो, वो क्या सोचेंगे? आप जैसे पढ़े-लिखे और कढ़े लोगों के बारे में? मैंने तो सिर्फ घटिया ही बोला है। माचो, बहनचो, छोरीचो समाज के मालिक हैं क्या आप? अगर नहीं, तो कैसी-कैसी घड़ाईयाँ घड़ रहे हैं ये?
जैसे हर चीज़ के दो पहलू हैं। वैसे ही इस कोडेड वाले जहाँ में भी है। सबकुछ बुरा ही बुरा नहीं है। अच्छा भी काफी कुछ है। मगर जहाँ बुरा है, या हो रहा है, अगर आपको वो पढ़ना या समझना आ गया, तो ज़िंदगी बहुत ही सरल और समर्द्ध भी हो सकती है। कितनी ही बुराईयों और बेवजह के झगड़ों को टाला जा सकता है। और कितनी ही बिमारियों से बचा जा सकता है या होने पर मौत की तरफ जाने की बजाय, वापस स्वस्थ ज़िंदगी की तरफ मुड़ा जा सकता है या ऐसे लोगों या समुदायों को मोड़ा जा सकता है। ऐसे से कुछ उदहारण, आगे किन्हीं पोस्ट्स में आसपास से ही और कुछ दूसरे देशों की यूनिवर्सिटीज के कुछ खास प्रोजेक्ट्स से।
वापस Marshall Project पर आते हैं। फिर से किसी यूनिवर्सिटी के किसी पेज से, वो भी कहीं न कहीं inmates (in mate/s) या Prisoners या सलाखों के पीछे रह रहे लोगों की बात कर रहा है। मगर, वैसे नहीं, जैसे मैंने यहाँ लिखा। कुछ-कुछ ऐसे ही एक कोडेड जहाँ, जिसमें "जो होता है, वो दिखता नहीं और जो दिखता है, वो होता नहीं।" मगर, एक बार आपने देखना-समझना शुरू कर दिया, तो दिखेगा भी और समझ भी आएगा।
इन प्रोजेक्ट्स पे और ऐसे-ऐसे कई और प्रोजेक्ट्स के बारे में, आगे भी पोस्ट्स में पढ़ने को मिलेगा।
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