क्रेडिट लेना बड़ी चीज़ है? खासकर, बड़े लोगों के लिए? या खासकर, राजनीतिक लोगों के लिए? इसीलिए, वो गिनवाते रहते हैं, बहुत बार ना किए हुए काम भी। या कहते रहते हैं, हम ये करेंगे, वो करेंगे। अगर सत्ता में आए तो। अगर सत्ता में आए तो ,अहम है। नहीं तो, नहीं करेंगे? यही ना? सिर्फ कुर्सियाँ अहम हैं। आप जो वोट देते हैं, वो नहीं। क्यूँकि, सत्ता का मतलब ही सेवा करना नहीं, बल्कि राज करना है। लोगों की सेवा ही करना हो, तो वो तो बिना सत्ता के शायद ज्यादा बेहतर की जा सकती है। हकीकत तो ये है, की हमें इस तरह की सत्ता या ऑप्पोजिशन की जरुरत ही नहीं है।
जो समाज का भला या सेवा करना चाहते हैं, उन्हें संसाधनों को जुटाने और उनके प्रयोग कर पाने के अलग रस्ते ढूंढने चाहिएँ। ताकी कौन पार्टी आ रही है और कौन जा रही है, उसकी अहमियत ही ना बचे।
आप क्या कहते हैं?
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